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       मेरा वतन वह  ह


                                                                                           -आर. सुदश न, नव , अ

        च ी ने  जस ज़म  पे पैग़ामे हक़ सुनाया


       नानक ने  जस चमन म  बदहत का गीत गाया

       ताता रय  ने  जसको अपना वतन बनाया



        जसने हजा जय  से द े अरब छ ु ड़ाया


       मेरा वतन वह  ह, मेरा वतन वह  ह
       सारे जह  को  जसने इ ो-हुनर िदया था,


       यूना नय  को  जसने हरान कर िदया था

        म   को  जसक  हक़ ने ज़र का असर िदया था


       तुक  का  जसने दामन ह र  से भर िदया था



       मेरा वतन वह  ह, मेरा वतन वह  ह
       टूट थे जो  सतारे फ़ारस क आसम  से


        फर ताब द क  जसने चमकाए कहकश  से


       बदहत क  लय सुनी थी दु नया ने  जस मक  से


       मीरे-अरब को आई ठ   हवा जह  से

       मेरा वतन वह  ह, मेरा वतन वह
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