Page 46 - Epatrika2020_KV2 AFA HYD
P. 46
-27-
मेरा वतन वह ह
-आर. सुदश न, नव , अ
च ी ने जस ज़म पे पैग़ामे हक़ सुनाया
नानक ने जस चमन म बदहत का गीत गाया
ताता रय ने जसको अपना वतन बनाया
जसने हजा जय से द े अरब छ ु ड़ाया
मेरा वतन वह ह, मेरा वतन वह ह
सारे जह को जसने इ ो-हुनर िदया था,
यूना नय को जसने हरान कर िदया था
म को जसक हक़ ने ज़र का असर िदया था
तुक का जसने दामन ह र से भर िदया था
मेरा वतन वह ह, मेरा वतन वह ह
टूट थे जो सतारे फ़ारस क आसम से
फर ताब द क जसने चमकाए कहकश से
बदहत क लय सुनी थी दु नया ने जस मक से
मीरे-अरब को आई ठ हवा जह से
मेरा वतन वह ह, मेरा वतन वह