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ेम बंधन
-सुहानी स ह
क ा- 9व
मेरे सपन क अरमान
तू ठ न जाना
आस सभी क पलट चुक सब टूट गए
फर भी म उस या मनी को भूल ना सका हू ं ारे
जग भूले पर तू ना भूले
यह ह मेरी दा ाने
मेरे सपन क अरमान
तू ठ न जाना
ु
ु
कछ कर ना सक कछ धर ना सका
ु
कछ तो उपयु ना कर ह सका
क दय लगा ह तड़पाने
मेरे सपन क अरमान
तू ठ न जाना