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       सुबह
                                                                                                      नाम :  ाती
                                                                                                      क ा : 7 'अ'
                                                                                                       रोल नं : 36

       सूरज क   करण  आती ह,

       सारी क लय   खल जाती ह,
       अंधकार सब खो जाता ह,


       सब जग सुंदर हो जाता ह।

        च ड़य  गाती ह  मलजुल कर,


       बहते ह उनक मीठ  र,

        ं
             ं
       ठड -ठड  हवा सुहानी,

       चलती ह जैसी म ानी।

       यह  ातः क  सुख बेला ह,

       धरती का सुख अलबेला ह,
       नई ताजगी, नई कहानी,

       नया जोश पाते ह  ाणी।
       खो दते ह आलस सारा,


       और काम लगता ह  ारा,

       सुबह भली लगती ह उनको,

       मेहनत  ारी लगती  जनको।

       मेहनत सबसे अ ा गुण ह,

       आलस बहुत बड़ा दुगु ण ह,
       अगर सुबह भी अलसा जाए,
       तो  ा जग सुंदर हो पाए।
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