Page 53 - Epatrika2020_KV2 AFA HYD
P. 53
-34-
आ रह रिव क सवारी
हमेश ओझा
नवी बी
२६
आ रह रिव क सवारी।
नव- करण का रथ सजा ह,
ु
क ल-कसुम से पथ सजा ह,
बादल -से अनुचर ने वण क पोशाक धारी।
आ रह रिव क सवारी।
िवहग, बंद और चारण,
गा रह ह क त -गायन,
छोड़कर मैदान भागी, तारक क फ़ौज सारी।
आ रह रिव क सवारी।
चाहता, उछलूँ िवजय कह,
पर िठठकता दखकर यह-
रात का राजा खड़ा ह, राह म बनकर भखारी।
आ रह रिव क सवारी।