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जौहर ( याण गीत)
→का श वम
सातव 'अ'
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अ कार दूर था, झ क रहा सूर था । जय त-जय- ननाद से,जय त-जय त-नाद से ।
कमल डोलने लगे, कोष खोलने लगे ॥ गूँजने नगर लगा; एक एक घर लगा ॥
लाल गगन हो गया, मुग मगन हो गया । जय उमे, गणेश जय, हर महश जय ।
रात क सभा उठ , मु रा भा उठ ॥ जय नशु मदनी,जय म हषिवमादनी ॥
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घूम घूम कर मधुप, फल चूमकर मधुप । दुग का महारथी, समर - शूर सारथी ।
गा रह िवहान थे, गूँज रह गान थे ॥ बोल उठा ताव से, राजसी भाव से ॥
रात - त मर लापता, च द का न था पता । तुम अजर बढ़ चलो, तुम अमर बढ़ चलो ।
तु हन- ब दु गत कह , छप गये नरवत कह ॥ तुम नडर बढ़ चलो, आन पर चढ़ चलो ॥
पवन मंद बह चला, मधु मर बह चला । शेषनाग हो अड़ा, न काल हो खड़ा ।
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अध खले खले कसुम, डाल पर हले कसुम ॥ पद रह तुषार ह , झड़ रह अँगार ह ॥
िविवध रंग - ढग क, िविवध प - रंग क । पर न तुम को कभी, पर न तुम झुको कभी ।
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बोलते िवहग थे; बाल - िवहग संग थे ॥ नाग पर चले चलो, आग पर चले चलो ॥
भानु-कर उिदत हुए,कज खल मुिदत हुए। एक ग त बनी रह, एक म त बनी रह ।
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ाय भी उ चत हुए,कमुद संक चत हुए ।। जोश भी न कम रह, बाढ़ पर कदम रह ॥
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जान गमन रात का, जान समय ात का । कौन कह रहा नबल, कौन कह रहा क टल ।
वीर सब उछल पड़; महल से नकल पड़ ॥ झाड़ दो उसे अभी, गाड़ दो उसे अभी ॥
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िदवस क िवकास म , करण क काश म । ह जिटल महा, श ु ह किटल महा ।
गो लय दमक उठ ; ब छ य चमक उठ ॥ आन-बान पर चलो,खेल जान पर चलो ॥
सात सौ सवा रय , ती तर कटा रय । मौन वीर हो गये, मौन धीर हो गये ।
तेग तबर आ रय , चल पड़ी दुधा रय ॥ पर समीर हो गये, तुरत तीर हो गये ॥