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किवता
-फा ुन
क ा-9व
यह हमारा िव ालय ह,
श ा का उ म आलय ह।
पढ़ते यह हम सब ब े
नयम-री त म ह सब स े।
इ श यह सखाई जाती ह
ं
ह यह पढ़ाई जाती ह।
ग णत यहा समझाई जाती ह
कला यहा सखलाई जाती ह।
श क सभी गुणी िव ान
दते िव ा का नत दान।भाईचारे क श ा दते
दशभि का पाठ पढ़ाते।
ये श ा का उ म आलय ह
यह हमारा िव ालय ह।
हाथी और र ी
एक बार एक ि , एक हाथी को र ी से ब ध कर ले जा रहा था | एक दूसरा ि इसे दख रहा था | उसे
बढ़ा आ य हुआ क इतना बढ़ जानवर इस हलक से र ी से बंधा जा रहा ह दूसरे ि ने हाथी क
मा लक से पूछा ” यह कसे संभव ह क इतना बढ़ा जानवर एक हलक सी र ी को नह तोड़ पा रहा और
तु रे पीछ पीछ चल रहा ह|
हाथी क मा लक ने बताया जब ये हाथी छोट होते ह तो इ र ी से ब ध िदया जाता ह उस समय यह
को शश करते ह र ी तोड़ने क पर उसे तोड़ नह पाते | बार बार को शश करने पर भी यह उस र ी को
नह तोड़ पाते तो हाथी सोच लेते ह क वह इस र ी को नह तोड़ सकते और बढ होने पर को शश करना
ह छोड़ दते ह .
कहानी क श ा- दो हम भी ऐसी बहुत सी नकारा क बात अपने िदमाग म बैठा लेते ह क हम नह
कर सकते | हमे कभी उ ीद नह छोडनी चा हये|