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बढ़ते अपराध पर दो म क बीच संवाद
-आयषु सावतं
क ा ९ ब
मोहन :आज आपन े समाचार प पढ़ा था? हमार े मौह े म रात म कु छ दुकान क ताल तोड़कर चोर
सामान लके र चले गए।
नेहा : ह , ऐसा कु छ िदन पहले भी पास क मोह े म हुआ था। अब तो ये रोज रोज क बात हो गई ह।
मोहन : सह ह। म हलाओ क गहन े झपट लने ा और रात म दुकान क ताल तोड़ दना तो जैस े आम बात हो
गई ह। पु लस ा कर रह ह।
नेहा : पु लस को शश तो कर रह ह कत ु अपराधी बड़ शा तर ह। लगता ह क य े कोई श त गरोह ह। जो
बड़ पशे वे र तरीक से काम रहा ह।
मोहन : सह कह रह हो। लोगो को भी सतक रहना चा हए। सीसीट वी कमर े लगान े चा हए। पु लस को भी
ग बढ़नी चा हए।
नहे ा : सह ह। पु लस को भी साधारण कपड़ म घूम-घूम कर पता करना चा हए।
मोहन : बस आ गई। चलो चलते ह।