“वनज भाषा उन्नवत अहै, सब उन्नवत को मूल, े वबनु वनज भाषा-ज्ञान क, वमटत न वहय को सूल । े अाँग्रेजी पद़ि क जदवप, सब गुन होत प्रिीन, पै वनज भाषा-ज्ञान वबन, रहत हीन क हीन । े Page 57 of 128