Page 58 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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माँ
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माँ ऐसी तयों होती ह।
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मर हर मुक्श्कल में मर साथ रहती हैं
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मर हर दुुःि म मर साथ रोती ह
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हर वक़्त मर साथ मर साय की तरह रहती हैं
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मुझे िाना खिलाती ह पर िुद भूि पट सोती ह
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मा ऐसी तयों होती हैं.....
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मर हर परशानी मुझे स पूछ लती ह
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पर िुद क ु छ नह बताती ह
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हर समय मर ढाल बनकर िड़ी होती ह
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