Page 63 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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धरती माँ कर पुकार
                                                                         े



                                         ँ
                                                े
                            धरती मा कर पुकार,


                            अब और ना करो अत्याचार |



                            मत करो गोद सूनी मर ,
                                                            े



                            लौटा दो मरा प्यार |
                                            े



                                                                                 े
                                                         आहट हो रह  मरे सीन में,
                                                                                          े

                                                                          े
                                                         द े दो कफरस जान |



                                                         मर ह  सीन स पलन वाल
                                                             े
                                                            े
                                                                          े
                                                                               े
                                                                                               े
                                                                                        े
                                                                              े
                                                         तयूँ हो सच स अंजान |

                                ँ
                            मा हँ तेर  गैर नह ं,
                                    ू


                            जीवन हँ तेरा क ु छ और नह ं |
                                        ू


                                                                          े
                                                         े
                                                          े
                            तयूँ हररयाल  को मर आँचल स

                            मुझस छीन ललया I
                                     े







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