Page 69 - केंद्रीय विद्यालय बड़ोपल ई- पत्रिका
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                                                                                                  े
                                         कबीर िास जी क सुप्रभसद्ध िोह


                                            गुरु गोववंद दोऊ िड़े



                                             काक लागू पाय
                                                      े



                                             बललहार  गुरु आपन
                                                                         े



                                           गोववंद हदयो बताए I



                                यह तन ववष की बलर  गुरु अमत की िानI
                                                              े
                                                                                 ृ

                                  शीश हदयो जो गुरु लमल तो भी सथता जान II
                                                                    े

                                ऐसी वार्ी बोललए मन का आपा िोय


                                   औरन को शीतल कर आपह शीतल होयII
                                                                  े
                                                                           ु
                                बड़ा भया तो तया भया जैस पड़ िजूर I
                                                                              े
                                                                          े

                                   पंथी को छाया नह  फल लाग अयत दूर II
                                                               ं
                                                                              े
                                बुरा जो दिन मैं चला बुरा न लमललया कोई I
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                                   जो मन दिा आपना मुझस बुरा न कोई II
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                                                  े
                                दुि में सुलमरन सब कर सुि में कर न कोईI
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                                                                                      े
                                  जो सुि में सुलमरन कर तो दुि काह को होय II
                                                                    े
                                                                                       े

                                                                                    आरजू -9







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