Page 30 - HINDI_SB54_Acts2
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                                                                े
                                                              लिकन इस घटना न इस नए
                                                                            े
                                                              िव�ास के  भीतर एक �षपूण�
                                                                लड़ाई को ज� िदया -
                                                               अ�जाितयों के  बीच खतना
                                                                      ू
                                                                   की भिमका।































                                           े
         तू न के वल खतनारिहत            अपन काय� का        इस दश�न म� परम�र न  े
                                                                      े
                                                े
           ु
          प�षों के  घर गया -          ��ीकरण करन के        �� �प से मुझे कु छ भी
                   े
               े
         ब�� तून उनक साथ              िलए - यही कारण है    अशु� न कहन के  िलए
                                                                    े
                                                े
            भोजन खाया!                 िक म� य�शलम                    े
                                          आया �ँ।          कहा था िजसे उसन शु�
                                                                कहा है।













                                                    े
                                                 इसक अित�र� परमेश् वर
                                                  े
                                                              ँ
                                                      ृ
                                                 न �ीकित दे दी यहा तक
                                                            े
                                                 िक अ�जाितयों न अन�
                                                 जीवन, पश् चाताप का यह
                                                  उपहार के  �प म पाया।
                                                            �
                                          े प्रे�रतों के  काम 11:1-18
     28 28                               प्र�रतों के  काम 11:1-18
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