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जब म�न त�� पहल िलखा था और कहा था िक बर लोगों के साथ संगित मत
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त�ार बीच म एक अनितकता है जसा करो तो_ म� अिव�ािसयों के बार म� बात नहीं कर रहा था।
मूित�पूजकों म� भी प्रथा नहीं है - एक ��� े
मेरा मतलब था िक िकसी भी ऐसे के साथ संगित न रखो जो मसीही होन
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अपन िपता की प�ी के साथ रहता है। का दावा तो करता है लिकन �िभचारी, लालची, धोखबाज, िपय�ड़ या
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त�� ऐसे ��� को अपनी संगित से दू र मूित�यों की पूजा करनवाला हो।
कर देना चािहए - इस उ�ीद म� िक वह बच
जाएगा।
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हम बाहरी लोगों का �ाय नहीं करत ह� – िसफ उनका जो
कलीिसया के सद� ह� जो ऐसा पाप करत ह�।
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और तुम एक दू सर पर मकदमा �ों मूित�पूजक, �िभचारी, समलिगक, चोर,
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चलात हो - �ा तुम नहीं जानत िक हम लोभी लोग, िपय�ड़, िनदा करन वाल, े हमार शरीर �िभचार के िलए
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�गदतों का �ाय करग? े या लटर उसक रा� के वा�रस नहीं नहीं बनाए गए थे।
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इस तरह के मकदमों का होना होंग। े
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मसीही के �प म� त�ार िलए एक �िभचार से भागो �ोंिक यह
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वा�िवक हार है। तुम भी पहल ऐसे ही थे लिकन अब पाप त�ार ही शरीर के िव��
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त�ार पाप धुल गए ह� और अब तुम है।
परम�र के हो गए हो।
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I कु �रंिथयों 5-6 15 15
I क�रिथयों 5-6