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        पिवत्र आ�ा प्र�क ��� को
         अलग-अलग वरदान देता है।
                                            े
         कु छ के  पास �ान की बातों का वरदान, कु छ िश�ा दे सकत ह�, कु छ को चंगाई देन  े
                        े
                                                    �
         का वरदान, कु छ को िवशष प्रकार के  िव�ास का वरदान, कु छ को साम� के  काम
                                        �
                                 े
                             े
             े
         िदखान का वरदान, कु छ को उपदश देन की साम� दी गई है और कु छ को अ�
                                        े
           भाषाओं म� बोलन की साम� दी गई है जो उ�ोंन कभी सीखी ही नहीं थी।
                            �
                     े
                                                                   �
                                                                    ु
                                                             अब -- म त��
                                                                 े
                                                              सबस उ�म
                                                                 �
                                                              माग बताता
                                                                 �ँ।
                                                               अगर म� अ�-अ�
                                                             भाषाओं म� बोल सकता
                                                                    ू
                                                                े
                                                              �ँ लिकन दसरों से प्रेम
                                                              नहीं करता �ँ तो - म�
                                                              िसफ शोर कर रहा �ँ।
                                                                �
                                                                             �
                                                             अगर म� भिव� के  िवषय म जानता
                                                                े
                                                                    ू
                                                             �ँ लिकन दसरों से प्रेम नहीं करता,
                                                                    े
                                                               तो इसस �ा फायदा होगा?
                            े
                                                                        ु
                                                                     ृ
                                                                ं
                                                                                   �
         अगर मुझम� पहाड़ों को हटा देन का भी िव�ास हो,   प्रेम ब�त धीरजवत और कपाल होता है, कभी ई�ा या डाह
         लिकन प्रेम न रख तो इसका कोई मतलब नहीं होता।   नहीं करता, कभी घमंड या बड़ाई नहीं करता, कभी भी
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                                      ु
           यिद म� अपना सब कु छ गरीबों को दे दूँ और ससमाचार प्रचार के    अिभमानी या �ाथ� या अस� नहीं होता।
                                         ु
                         ं
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                              े
          कारण अपनी देह को िजदा जलान के  िलए दे दूँ पर� दसरों से प्रेम   प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता है। वह
                                                                         ु
                  न रख, तो इसका कोई मू� नहीं होगा।        झु ँझलाता नहीं या ज�ी ग�ा नहीं करता है।
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                                                                   वह बैर-भाव नहीं रखता है और इस
                                                                   बात पर शायद ही �ान दे, जब दू सर  े
                                                                       उसक साथ गलत कर। �
                                                                          े
      जब म� एक ब�ा था तो म� एक
       ब�े की तरह ही बोलता था
                  े
      और तक�  करता था लिकन िफर
      म� एक सयाना पु�ष बन गया
           े
      तो उसक बाद बचकाना रा�ा
        अपन पीछ छोड़ िदया।
              े
           े






                                                    �
                                              तीन चीज ह� जो �स्थर
                                               रहती ह� - िव�ास,
                                              आशा और प्रेम - और
                                                       े
                                                  �
                                               इनम से सबस बड़ा
                                                  प्रेम है।
                                           I कु �रंिथयों 12-13कु �रंिथयों 12-13            17 17
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