Page 23 - HINDI_SB57_Letters1
P. 23
े
ु
ँ
ु
ँ
ु
हालािक मुझे कु छ समय के िलए खेद �आ िक म�न वह पत्र तमको भेजा, मिकदिनया म� किलिसयाए किठन समय से गजर
�
ू
ु
े
े
यह महसस करत �ए िक वह त�ार िलए िकतना ददनाक रहा होगा। रही थी, लिकन उनक भारी कगालपन के साथ
ं
े
े
े
ू
ु
े
पर� अब म� प्रस� �ँ िक म�न उसे भेजा, �ोंिक िमिश्रत आनंद के कारण दसरों को देन की
उदारता बढ़ गई थी।
ु
े
े
े
उस दद� न त�� परम�र की ओर फर िदया।
े
े
े
�
�ोंिक परम�र हम पाप से दू र उ�ोंन न के वल वह िदया जो वे दे सकत थे
े
े
ब�� उसस भी अिधक - य�शलम म�
े
होन और अन� जीवन की खोज मसीिहयों की मदद करन की खुशी म� िह�ा
े
े
म� हमारी सहायता करन के िलए, लेने के िलए बार-बार िवनती करत थे।
े
े
कभी-कभी हमार जीवन म� दुः ख
का प्रयोग करता है।
े
े
उ�ोंन हमारी आशाओं से भी ब�त आग बढ़कर,
े
�
पहल तो �यं को प्रभु को समिपत िकया।
तुमम� अ�िधक िव�ास है,
े
े
अ� उपदशक ह�, �ान है,
े
उ�ाह है और हमार प्रित
प्रेम है - अब म� भी
ू
े
�
उ�ाहपवक देन के िलए
ु
त�� प्रो�ािहत करता �ँ।
े
ु
े
तुम हमार प्रभु यीश के प्रेम और दया को जानत हो – य�िप वह ब�त
ु
े
ु
े
धनी होत �ए, त�ार कारण कं गाल हो गया, तािक वह तमको धनी
बना सके ।
II कु �र��यों 7-8II कु �र��यों 7-8 21 21