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                                                                ं
             मैं अपन शब्दौं में क ु छ कहना चाहता ह।
                                                                ू
                                                                 े
             क ु छ समय पहल एक छोटी सी घटना मर सार् घटी
                                                                   े
                                   े
             गुरु को क्यौं माता वपता और भगवान का दशान ककया जाता है। इसका
                                                                               े
                                       े
             उिर मुझे समला। मरी हहंदी की अध्यावपका अपन छारौं को प्यार करन                                   े
                                                                                              े
                                                                                               े
             वाली दया ममता से भरी हमारी अध्यावपका मैं और मर दो समर
             ववद्यालय की वावर्ाक पत्ररका क े काया क े सलए काम कर रह र्े। हम
                                                                                                े
             स्त्क ू ल में क ु छ सामान लाए र्े। जैस कप्यूटर आहद जब हमार ववद्यालय
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                                                              ं
                                                                                             े
                                               े
             की छ ु ट्टी हई तो हम सार अपनी हहंदी की अध्यावपका क े पास गई और
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             उन्हौंन दखा कक बच्चौं क े हार्ौं में भारी समान है। तो उन्हौंन कफक्र
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             करते हए एक मां की तरह कहा कक बटा आराम से जाना पैसे नहीं है तो
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             मैं द े दती ह। अपनी अध्यावपका क े आंखौं में अपने बच्चौं क े सलए मैंन                           े
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             प्यार और ममता दखी बडी प्रसन्नता हई। मैंन अपनी मां को यह बात
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                                                                  ु
             बताई उस वक्त मां रात का भोजन बना रही र्ी। जब मरी मां ने यह बात
                                                                                      े
                                                                  े
             सुनी मां की आंखौं में आंसू आ गए मरी अध्यावपका की ममता और
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             कफक्र को दखकर वह मुझस बोली क े बटा वह भी तो एक मां है तुम्हार                                  े
                                                                  े
             हार्ौं में इतना भारी समान र्ा। इससलए उनको तुम सब की कफक्र हई।
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             रात मुझे समझ आया कक अध्यापक को माता वपता और भगवान से
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             पहल और बडा क्यौं माना जाता है।


             12th C

             Vasu Dixit










                                                                                                  ANUJ KUMAR
                                                                                                  8 A





                     The art of teaching is the art of assisting discovery
                                                                                                            .
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