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जो भोजन क दान इनस बडे र्े। मैन सोचा कक इनका
हौसला ककतना ज्जयादा हैं खुद स बडा ट ु कडे को ककतन
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उत्साह स लकर जा रही हैं। य लघुकाय चींहटयाँ और हम
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इसान होकर अपना छोटा सा काम नहीं करत हैं। मैं य
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सब सोच रही र्ी। और इन दोनौं चींहटयौं को दख रही र्ी।
य चींहटयाँ उस दान को त्रबल में ल जान का प्रयास कर
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रही र्ी....बार-बार ही र्गर जा रही र्ी। कफर भी य चींहटयाँ
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उस दान को छोड नहीं रही र्ी। उस ल जान का बार-बार
प्रयास कर रही र्ी .....हर प्रयास में व ववफल हो रही र्ी।
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ऐस उन चींहटयौं न बीससयौं बार प्रयास ककया। दानें को
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अपन त्रबल में पहचान क सलए ,परतु पहचा नहीं पाई।
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आखखरकार पहचा ल गई दानें को । य दख मैं बहत खुश
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हई कक इन्होन कोसशश काया की सफलता तक कीऔर
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कामयाब हो गई।मैन सोचा कक एक छोटी-सी चींटी न मुझे
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आज ककतनी बडी सीख दी कक काम चाह ककतना मुजश्कल
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क्यूँ न हो, हमें हार नहीं माननी चाहहए। तनरतर और
कवल प्रयास करना चाहहए। अपन हौसलौं को नकारात्मक
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ववचारौं स दूर रखना चाहहए। और प्रयास करना चाहहए।
हम सफल अवश्य हौंगें। यह सोच कर मैं खुशी और उमंग
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उछल पडी । प्रकतत न आज मुझे ककतनी बडी सीख दी हैं।
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और अगर मनुष्य प्रकतत को समझे ,उसक हदय गए संकत
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को समझ ल तो नकारात्मक ता हावी नहीं हो सकती
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।हम वो आरोहह ह जो सशखर की चोहटयौं को छ ू ना चाहते
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है, इस पर् पर हमारा आरोहण हमार हौंसलौं क सार् ह।
दीक्षा समश्रा
-कक्षा 12C
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