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स्िास््य का मूल मंत्र
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आज क े इस भाग दौड भरी जजंदगी में बशक मनुष्य ने ववकास क े नए आयाम स्त्र्ावपत कर
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सलए हौं,लककन असंख्य चुनौततयौं क े सामन एक सबस बडी चुनौती को स्त्वयं को स्त्वस्त्र्
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रखन की भी हो गई है ।प्रततहदन नए-नए अस्त्पताल खुल रह हैं। र्चककत्सा क्षेर में ककतनी ही
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नवीन खोज हो गई हो कक ं तु रोर्गयौं की संख्या घटन क े बजाय बढ़ती जा रही है इस हदशा में
हमारा खान-पान एक बहत ही बडी भूसमका अदा कर सकता है हमें वापस प्रक ृ तत मां की
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तरफ जाना होगा और उन चीजौं को ही अपन खानपान में शासमल करना होगा जो प्रक ृ तत
प्रदत है इस संबंध में तनम्नसलखखत तथ्य ववचारणीय हैं
1. हमार शरीर में परमात्मा द्वारा दी गई 'जीवनी शजक्त' होती है हम अनुर्चत आहार-ववहार
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द्वारा उसका सत्यानाश कर दते हैं ।
2.हमार आयुवेद में कहा गया है
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"लंघनम ्परम और्धम ् "
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अर्ाात उपवास सबस बडी और्र्ध ह।आपन स्त्वयं अनुभव ककया होगा कक रोग की अवस्त्र्ा
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स्त्वास्त्थ्य का मूलमंर
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में हमारा खान पीन को मन नहीं करता उस वक्त जीवनी शजक्त उस रोग को ठीक करन का
प्रयास करती है। प्रक ृ तत क े समस्त्त जीव मनुष्य को छोडकर बीमार होने की अवस्त्र्ा में
सबस पहल भोजन का ही त्याग करते हैं गीता में कहा गया है--
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आहरम पचतत सशररव,
दोर्ान आहार वजजात:
अर्ाता जठरार्गन भोजन को पचाती है एवम भोजन की अनुपजस्त्र्तत में शरीर क े दोर्ौं को ही
खा जाती है इस तरह से शरीर तनदोर् यानी तनमाल बनता है ।
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3. हमें अपन भोजन में यर्ासंभव खान योग्य हरी पवियौं का रस शासमल करना चाहहए
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उनक रस में पोर्क तत्व एवं जजंदा एंजाइम होते हैं जो शरीर की कोसशकाओं का पोर्ण करते
हैं।
4. हमार भोजन में रीजनल और सीजनल , ओररजजनल,फलौं एवं सजब्जयौं को शासमल
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करना चाहहए। शरीर इनका पाचन शीघ्रता से करता है जजसस शरीर की आंतें इनक पोर्क
तत्वौं को शरीर क े भागौं में खून क े माध्यम से ववतररत कर सकती है । रीजनल का अर्ा है
व्यजक्त जजस क्षेर में रहता है उसक फल एवं सब्जी। सीजनल का अर्ा जो जजस भी मौसम
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में आता है उस उसी मौसम में खाना चाहहए तर्ा ओररजजनल का अर्ा है जैसा प्रक ृ तत ने
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बनाया है फल या सब्जी को उसी स्त्वऱूप में ग्रहण करना चाहहए ।प्रक ृ तत ने हमार स्त्वास्त्थ्य
हर हदन मरा सुप्रभात
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की रक्षा क े सलए अनेक फल एवं सजब्जयां बनाए हैं जजनमें जीवन क े सलए आवश्यक पोर्क
तत्व होते है।
Physical fitness is the first requisite of happiness.