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स्कल क े दिन
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जज़ंदगी तो बाकक हैं, लककन सुक ू न छीन सा गया।
स्त्क ू ल क्या खत्म हआ, मानो हमारी झोली से क ु छ र्गर सा गया।
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अब कानो में स्त्क ू ल की वो घंटी सुनाई नही दगी,
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अब जज़ंदगी हर मोड पर हमस परीक्षा लगी।
भल ही भारी बस्त्तौं से छ ु टकारा हमें समल गया,
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कधो पर जजम्मदाररयौं का बोझ भी तो बढ़ गया।
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स्त्क ू ल यूतनफॉमा पहनना त्रबलक ु ल नहीं भाता र्ा,
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लककन अब नही पहन पाएंग, ये सोच हदल घबराता हैं।
उफ......सुबह जल्दी उठना, बस्त्ता उठा कर चल दना,
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दोस्त्तो क े सार् हसना, खलना और गल समलना।
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अब दोस्त्त तो हौंग, लककन मतलब कक दोस्त्ती रह जाएगी,
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जज़ंदगी क े समंदर में, उम्मीदौं कक ससफ कश्ती रह जाएगी।
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अध्यापकौं की डांट, फटकार और मीठा मीठा प्यार,
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स्त्क ू ल क े हर हहस्त्स से जुड गए र्े हमार हदलौं क े तार।
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काश....!! स्त्क ू ल और हमारा सार् यू ही बना रहें,
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स्त्क ू ल में एक हदन हमारी कामयाबी का त्रबगुल बज।।
-MD. SAIF
(HUMANITIES 12 TH CLASS TOPPER)
School is what kind of grows you into the person you
are.