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उलझनें और क्ज़िगी
उलझने बढ़िी रही मैं झेलिा रहा ,
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िति ने मैिान में उिारा मैं खलिा रहा ।
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लोग कहने लग िो पागल हो जाएगा
मै सुनिा रहा.......
लोगों की बािों को मन में िबाए
अपने सपने बुनिा रहा......
कस बिाऊ ?
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इन लोगों को जैस िति बिलगा,
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िैसे मरा विश्िास नही बिलगा
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सोि िी शलया वििार िी कर शलया।।
खुि को र्ोड़ा समझिार िी कर शलया .....
अब कोई िी क्जंिगी में आए.
जीिन से हर हाल मे जीना सीख शलया।।
Rudra Pratap Pandey
10-A
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िुतनया का सबस अच्छा गहना ह “पररश्रम”
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और सबस अच्छा जीिन सार्ी ह “आत्मविश्िास”
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