Page 22 - Navvihaan 2021 10-9-21
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अिीत क   मार
                                                ं
                                      आँकड़ा प्रर्वजष्ट प्रचालक ग्रड-बी
                                                                े
                                              िं
                                            म बई मिंडल













                                                    िारी   तो सृजि  ,
                                                                       ै
                                                           ै
                                                  करती सृजष्ट निमाि   ।
                                                                    ि
                                                                        ै
                                                घर द्वार क बिंिि को समट,
                                                           े
                                                                          े
                                                     प्रम स उर को बाँि,
                                                           े
                                                      े
                                                     मिऱूपी क्षीर सागर
                                                  तिऱूपी िरा को समर्पित
                                                        ै
                                                बिती   आिार सृजि का ।
                                                                       ै
                                                           ै
                                                    िारी   तो सृजि  ,
                                                                        ै
                                                                    ि
                                                  करती सृजष्ट निमाि   ।

                                                                          े
                                                                    े
                                                     े
                                            ति की वदिा मि की वदिा स सलप्त
                                                  र वदिा का सार सृजि  ,
                                                                           ै
                                                      े
                                           मि की स दर भाविा का सार सृजि  ,
                                                                                ै
                                                     िं
                                                                              ै
                                              जीवि ऱूपी तऱू का माि सृजि  ,
                                                           ै
                                                                       ै
                                                    िारी   तो सृजि  ,
                                                  करती सृजष्ट निमाि   ।
                                                                        ै
                                                                    ि

                                                                           े
                                               सृजि की शजक्त स जन्म लती,
                                                                 े
                                                 एक और सृजि की शजक्त |
                                                       ै
                                                िन्य   य  शजक्त ऱूपी िारी,
                                          वदिा की मूनति, और सृजि का आिार  ,
                                           े
                                                                                 ै
                                                                       ै
                                                    िारी  , तो सृजि  ,
                                                          ै
                                                                    ि
                                                                        ै
                                                  करती सृजष्ट निमाि   ।
                                                           *****







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