Page 20 - Navvihaan 2021 10-9-21
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                                           े
                                       िीलश पी. अहहर
                                       वररष्ठ लखापरीक्षक
                                                े
                                        एल. ए. पी. - III













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                            वो बचपि क हदि थे,
                                                   ाँ
                                                     ं
                            िब ख शशर्ा ही ख शशर्ा र् िा करती थी |
                                       ाँ
                                                  े
                            पापा की तन््वाह होंि पर,
                            हमें ढर सारी शमठाईर्ााँ शमलतीं थी ||
                                  े


                                     े
                                                       े
                            त्रबि मााँर् सब हदर्ा उन्होि,
                                  े
                            पर महित उिकी समझ ि आर्ीं |
                                                          े
                                       े
                            ठोकर खाि स बचा शलर्ा उिक सार्ें ि,
                                                                   े
                                 े
                                          े
                                                                 ै
                            आि साथ िा होकर भी उिकी र्ाद ह आर्ीं ||

                                                ै
                                      े
                            ककस्मत स शमलते ह पापा,
                            हो सक तो थाम लो उिका हााँथ |
                                  े
                            बिा संकट भी हसत-हसते टल िाए,
                                               े
                                                 े
                            िब सार्ा उिका चल साथ ||


                            आि मालूम हआ म झ,
                                                  े

                                       े
                            िब एक बटी का बाप हआ |

                                े
                            उिक राि में हर हदि हदवाली  थी,
                                            े
                            आि बस जिम्मदारी का एहसास हआ ||


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