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               गेट क बाहर Kर&शा खड़ा था और Kर&शे पर स              कड़ाह  +साद  उसक>  कांपती  हई  हथेल!  पर  रख
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                                                                                             ु
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               मां और भाई-बहन उतर रह हg।                          1दया।
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               Kर&शे वाल का 9कराया चुकता कर मां अSदर आ                               - अमर6क Nसंह द6प
               गई। साथ ह! भाई-बहन भी। उसक %नकट पहच                              मोबाइल नंबर – 08765379718
                                                         ं
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               कर  मां  न  भोग  क  प`चात  #मला  गरम-गरम
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                 लघुकथा


                                                                      े
                                                     बढ़ा हआ पट
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                                                                                                 े
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                         हKरया आज कपास क> फसल बेचकर आढ़%तए का 1हसाब चुका आया ह, पnल पड़े ह दस
                                                                                           ै
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                 हज़ार, §यादा तो hयाज और Pपछल कज़  ह! खा गया। बाजार स जाते जाते बजाजी क> दुकान स
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                                                                             े
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                 बfच' और घरवाल! क#लए कपड़े ह! खर!द लूँ,  इसी उधड़बुन म वह बजाज क> दुकान पर kक जाता
                 ह।
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                 "आ भाई हKरया फसल आ ल! होगी, Pपछला 1हसाब चुकता कर द और कपड़े िजते मज़” ल ल!, तेर!
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                 घर क> ह! तो दुकान सै।"
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                 "कहाँ सेठ जी ए हम तो ठहर गर!ब आदमी, फसल तो सार! कज़  और hयाज म ह! उड़ गई, य लो
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                 दो हज़ार ह! ह।"
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                 "अर इसस तो काम कोनी चालेए Pपसा तो Pपछल साल का छह हजार ह। hयाज लगानो पड़ेगो, मह
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                 भी क कराँ।"
                 "मज़” ह सेठ जी, मेर पास तो इतना ह! ह।"- हKरया न एक एक सूट सभी का लेकर 5बल पूछा, चार
                                                                   े
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                 हज़ार स सौ कम। "बहत पैसा बना 1दया सेठ जी, बस इसी बार, अगल! बार तो गांव क कई 9कसान
                                                                                                े
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                 कह रह थे 9क 20-50 9कसान #मलकर गांव म ह! कपड़े क> फ&š! लगाएंग, 9फर कपड़ा खर!दन क>
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                 जdरत न रहगी।"
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                 "ऐसा &या",- सेठ अपन बढ़ हए पेट को अंदर क> ओर धंसता महसूस कर रहा था, माथे पर Uचंता
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                 क> लक>र उकर आई थीं।         -

                                                             सुरजीत Nसंह Nसरड़ी, अfयापक
                                                    पता- गांव व डाकखाना : वैदवाला, तहसील व िजला #सरसा हKरयाणा
                                                          मो. 94675-13601 email : sirdisinghsurjit@gmail.com
               मई – जुलाई                             29                                                                   लोक ह ता र
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