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                                                                                  7
                                                                                                          ु
                कोई Lखड़क> इसी द!वार म खुल जायेगी।“              यारह साल क> उŒ म उSह'न पहल! गज़ल कह!। हआ
                                                                 ं
                                                                                                     े
                                                    ”
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                                                                                           े
                                                                         े
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               इस न§म को शा1हद लतीफ़ न अपनी 9फnम  सोन क>         यू 9क उनक Kर`तेदार' एवम िजल क शायर' न नई पीढ़!
                                                                 े
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               UचZड़या  “म  कफ़>  क>  आवाज़  म  बलराज  सहनी  पर    क 9कशोर' और नौजवान' को गज़ल का एक #मसरा
                                                                                                           )
                                                                        े

                                                                                          े
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                                                                                                ं
               9फnमाया था। भारत क पंजाबी भाषा क  +#सW कPव       पंि&त (दकर  गज़ल पूर! कहन क> परपरा  शुd क>।
                                                                                                            े
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               पाश न #लखा ह –    सबस खतरनाक होता ह सपन' का      इस बार  आँसू %नकल पड़े  “#मसर को मुकमnल करक
                                                                      ”
                                                 े
                                                                          े
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                                                                                   7
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               मर  जाना “Pव`व  कPव  पाhलो  नेkदा  न  अपनी  एक   गज़ल  कहन  क>  दौड़  म  कफ़>  भी  शा#मल  थे।  यारह
                                                   ै
                                                   -
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                     ”
                      –
               कPवता  स?य “म सपन' क बार म #लखा ह                साल का कोई और बfचा होता तो उसक आँसू %नकल
                                                                                      े
                                                          g
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                ”मg #सफ उन चीज' को yयार करता हँ िजनम सपन ह “    पड़ते ले9कन कफ़> न थोड़ी दर म ह! गज़ल यू कह!

                                                         े
                                                                                                    ं
                                                                                े
                                                                           ै

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               कफ़> साहब न भी सपन' क>  म1हमा को रखां9कत करते     ‘‘इतना तो िजंदगी म 9कसी क> खलल पड़े
                         ”
                                                  े
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                          –
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                ु
               हए #लखा ह  अँधर &या उजाल &या ,न य अपन न वो       हँसन स हो सुक ू न न रोन स कल पड़े
                    े
                                                                      े
                                                                               े
               अपन,                                             मु•त क बाद उसन क> तो लु?फ़ क> %नगाह
                                                  े
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               तेर काम आएंग yयार तेर अरमां तेर सपन“             जी खुश तो हो गया मगर आँसू %नकल पड़े
                                                                                                 “
                                                                                     ै
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               9फnम ‘बहार 9फर भी आएगी’ क #लए #लखा उनका          Pपता और Kर`तेदार' को कफ़> क> शायराना +%तभा पर
                                              ै
                                   े
                                                                                          ै
               गीत आज भी सभी को +Kरत करता ह।                    यक>न नह!ं हो रहा था। जनाब कफ़> साहब क> हमसफ़र

                                                                          े
                                                                                 7
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                                                                                                    े
                                                                                  ”
               जहाँ एक ओरउनक> शायर! स +भाPवत राजनेता ए .बी .    शौकत जी क शhद' म –   ले9कन गज़ल कहन क अंदाज़

                                                                 े
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                                                                                 े
                                                                          े


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                                                                                                 ,
               बध न  $ां%त क महान  शायर कफ़> आज़मी को काजी        स खुश उनक Pपता न इनाम म पाकर पेन  शेरवानी क
                                                                          ै
               नजkल इ लाम ,पाhलो नेkदा तथा मायकोव क> जैस    े   साथ साथ कफ> तखnलुस ‘‘उपनाम’’ भी 1दया। और

                                                                         े
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                                                                                          –
                                       े
                                                                                       े
                                                                                                   ु
               महान $ां%तकार! कPवय' क समक  रखते  ह ,वह!ं        इस तरह स आज़मगढ़ िजल क  अतहर हसैन Kरज़वी
               +{यात कथाकार असगर वजाहत न  अ#भनव कदम “           अदब  क>  दु%नया  म  कफ़>  आज़मी  क  dप  म  जान
                                                                                                      7
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                                                                                 7
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                                                                      े
                                                                                                   े
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                                                                              े
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                   ै
               क  कफ़>  आज़मी  Pवशेषांक  म  उनक>  +#सW  कPवता     पहचान और मान गए। इस गज़ल को लंब समय बाद
                                                           –
                                                                                           े
                                ू
               ”जब भी चूम लेता हँ इन हँसी आख' को  , Uचराग अँधेरे   सु+#सW गा%यका बेगम अ{तर न भी गाया। यह गज़ल
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                                   g

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               म Lझल#मलान लगते ह  “को अSतरा Mš!य  तर क>         दश  क>  सीमाओं  स  पर  भी  अनेक  मुnक'  म  गाई -
                                             े
                                  g
                                       –
               कPवता घोPषत करते ह।1हंद!  उदू  क सांझे शायर %नदा   गुनगुनाई और सराह! गई।
                                                                                                           –
                                 ”
                                  –
                                     ै
                                                                             ै
                         े
               फाजल!  क  अनुसार   कफ़>  आज़मी  क>  शायर!                     कफ़>  साहब  का  पहला  काDय  सं–ह
                                                |
                                                                               7
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                                                                                                            े
                                                                                        ु
               सामािजक सरोकार' क> िजंदा #मसाल ह “               ”झंकार “1943  म +का#शत हआ। उSह'न 1हंदु तान क
                                               ै
                              पKरवार  वाले  कफ>  को  द!नी  दबे  – क ु चले ,  वंUचत' शोPषत' ,  गर!ब 9कसान' ,  मजदूर' ,
               ता#लम (धा#म क #श ा) 1दलवाना चाहते थे िजसस    े   बेसहारा -बेघर  द#लत'  एवम  असहाय  और  ज़ुnम  क>
                                                 े
                                े
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                                                                                                    े
                                                                                                            े
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                                                                              े
               वह  मौलवी  बन  सक  ले9कन  बचपन  स  ह!  शायराना   #शकार औरत' क हक और बहतर! क #लय शायर! क
                                                                           –
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               त5बयत  ,समाजवाद!  {याल  न  उSह  सामािजक          जKरय साथ क  का5बल तार!फ को#शश क>। उनक |वारा
                                                        े
                             े
                                                                    ”
               सरोकार' का संवदनशील शायर बना 1दया। उनक घर        रUचत   औरत  “न§म  क>  फमा इश  सभी  मुशायर'  म  7
                                                                                              े
                 7

                                   े
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                                                                                                   ,
               म शायर! का माहौलवैस ह! मौजूद था जैस 1हंद! 9फnम'   होती। औरत क> आ?मा को  जगान वाल!  उसक हक
                                                                                े
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                     –
               म गीत  संगीत।                                    और वजूद को बतान वाल!  और उसको बराबर! का दजा
                                                                                          7
                                                                           े
                                                                क> वकालत क साथ साथ उसम जोश और जुनून पैदा
               मई – जुलाई                             67                                                                   लोक ह ता र
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