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कोई Lखड़क> इसी द!वार म खुल जायेगी।“ यारह साल क> उ म उSह'न पहल! गज़ल कह!। हआ
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इस न§म को शा1हद लतीफ़ न अपनी 9फnम सोन क> यू 9क उनक Kर`तेदार' एवम िजल क शायर' न नई पीढ़!
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UचZड़या “म कफ़> क> आवाज़ म बलराज सहनी पर क 9कशोर' और नौजवान' को गज़ल का एक #मसरा
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9फnमाया था। भारत क पंजाबी भाषा क +#सW कPव पंि&त (दकर गज़ल पूर! कहन क> परपरा शुd क>।
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पाश न #लखा ह – सबस खतरनाक होता ह सपन' का इस बार आँसू %नकल पड़े “#मसर को मुकमnल करक
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मर जाना “Pव`व कPव पाhलो नेkदा न अपनी एक गज़ल कहन क> दौड़ म कफ़> भी शा#मल थे। यारह
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कPवता स?य “म सपन' क बार म #लखा ह साल का कोई और बfचा होता तो उसक आँसू %नकल
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”मg #सफ उन चीज' को yयार करता हँ िजनम सपन ह “ पड़ते ले9कन कफ़> न थोड़ी दर म ह! गज़ल यू कह!
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कफ़> साहब न भी सपन' क> म1हमा को रखां9कत करते ‘‘इतना तो िजंदगी म 9कसी क> खलल पड़े
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हए #लखा ह अँधर &या उजाल &या ,न य अपन न वो हँसन स हो सुक ू न न रोन स कल पड़े
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अपन, मुत क बाद उसन क> तो लु?फ़ क> %नगाह
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तेर काम आएंग yयार तेर अरमां तेर सपन“ जी खुश तो हो गया मगर आँसू %नकल पड़े
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9फnम ‘बहार 9फर भी आएगी’ क #लए #लखा उनका Pपता और Kर`तेदार' को कफ़> क> शायराना +%तभा पर
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गीत आज भी सभी को +Kरत करता ह। यक>न नह!ं हो रहा था। जनाब कफ़> साहब क> हमसफ़र
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जहाँ एक ओरउनक> शायर! स +भाPवत राजनेता ए .बी . शौकत जी क शhद' म – ले9कन गज़ल कहन क अंदाज़
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बध न $ां%त क महान शायर कफ़> आज़मी को काजी स खुश उनक Pपता न इनाम म पाकर पेन शेरवानी क
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नजkल इ लाम ,पाhलो नेkदा तथा मायकोव क> जैस े साथ साथ कफ> तखnलुस ‘‘उपनाम’’ भी 1दया। और
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महान $ां%तकार! कPवय' क समक रखते ह ,वह!ं इस तरह स आज़मगढ़ िजल क अतहर हसैन Kरज़वी
+{यात कथाकार असगर वजाहत न अ#भनव कदम “ अदब क> दु%नया म कफ़> आज़मी क dप म जान
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क कफ़> आज़मी Pवशेषांक म उनक> +#सW कPवता पहचान और मान गए। इस गज़ल को लंब समय बाद
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”जब भी चूम लेता हँ इन हँसी आख' को , Uचराग अँधेरे सु+#सW गा%यका बेगम अ{तर न भी गाया। यह गज़ल
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म Lझल#मलान लगते ह “को अSतरा M!य तर क> दश क> सीमाओं स पर भी अनेक मुnक' म गाई -
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कPवता घोPषत करते ह।1हंद! उदू क सांझे शायर %नदा गुनगुनाई और सराह! गई।
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फाजल! क अनुसार कफ़> आज़मी क> शायर! कफ़> साहब का पहला काDय संह
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सामािजक सरोकार' क> िजंदा #मसाल ह “ ”झंकार “1943 म +का#शत हआ। उSह'न 1हंदु तान क
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पKरवार वाले कफ> को द!नी दबे – क ु चले , वंUचत' शोPषत' , गर!ब 9कसान' , मजदूर' ,
ता#लम (धा#म क #श ा) 1दलवाना चाहते थे िजसस े बेसहारा -बेघर द#लत' एवम असहाय और ज़ुnम क>
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वह मौलवी बन सक ले9कन बचपन स ह! शायराना #शकार औरत' क हक और बहतर! क #लय शायर! क
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त5बयत ,समाजवाद! {याल न उSह सामािजक जKरय साथ क का5बल तार!फ को#शश क>। उनक |वारा
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सरोकार' का संवदनशील शायर बना 1दया। उनक घर रUचत औरत “न§म क> फमा इश सभी मुशायर' म 7
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म शायर! का माहौलवैस ह! मौजूद था जैस 1हंद! 9फnम' होती। औरत क> आ?मा को जगान वाल! उसक हक
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म गीत संगीत। और वजूद को बतान वाल! और उसको बराबर! का दजा
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क> वकालत क साथ साथ उसम जोश और जुनून पैदा
मई – जुलाई 67 लोक ह ता र