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अवाम तक पहँचान क> को#शश क> थी। मSना डे साहब मgन इक फ ू ल जो सीन प सजा रखा था
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क> आवाज म गीत ह उसक पदº म तुJह 1दल स लगा रखा था
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” न तेल और न बाती न काबू हवा पर था जुदा सबस मेर इ`क का अंदाज़ सुनो“
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1दए &य' जलाए चला जा रहा ह। कफ़> साहब क अथ पूण मा#म क शhद,रफ़> साहब
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न द दोष भगवान को ओ भोल भाल े क> दद भर! हई आवाज़ और मदन मोहन का कkण
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खुशी क> तमSना म गम तुन पाल “ संगीत ,गीत को कालजयी बना दता ह |
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तू अपन 9कय क> सजा पा रहा ह।“
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गर!बी और जहालत क कारण आज आबाद! ब1हसाब
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बढ़ रह!ं ह। इस रोकन क #लय सरकार को ताल!म और
रोजगार क> Dयव था करनी चा1हए।
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कफ़> आज़मी को सा1ह?य अकादमी पुk कार , “
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”सोP ़ वयत लgड नेहk अवाड , “यश भारती सJमान “
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, “ शैलेS\ सJमान “क साथ साथ गम हवा “9फnम क
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#लय सव ~Mठ संवाद “पटकथा “और कथा “क तीन
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9फnमफयर अवाड भी +ाyत हए। 11-11-1970 को उनका कPवता संह ‘‘आवारा सजद’’ सा1ह?य जगत
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म\ास म आयोिजत 17व राM!य 9फnम पुर कार म मील का प?थर ह। ‘‘इyटा’’ क स9$य सद य रह े
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समारोह म क क अhबास |वारा %नदº#शत सात और %नधन (10 मई 2002) स पूव कई साल' तक
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1हSदु तानी “9फnम म गीत लेखन क #लए राM!य ”इyटा “क अzय क dप म माग दश न करते रह।
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अवाड +ाyत 9कया। गीत क +ेरक बोल इस +कार ह - #शया -सुSनी झगडे पर ‘‘लखनऊ तो नह!ं’’ बावर!
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”
– ” आंधी आय 9क तूफान कोई गम नह!ं ,ह यह! आLखर! मि जद Pवzवंश पर दूसरा बनवास “1हंदू मुि लम
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”
इJताहाँ साUथय', झगडे पर सांप “आ1द नVम सामािजक सरोकार क>
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इक तरफ मौत ह,इक तरफ जीवंत द तावेज ह। नई कPवता क पुरोधा अ_ेय जी न े
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िजंदगी बीच स ल चलो कारवां साUथय'“ ”सांप “क माzयम स नगर!य मानव क दोहर ,दोगल े
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आज भल ह! नेहk जी क कद को छोटा करन 9क को#शश और 1दखाव वाल चेहर और चKर6 को बखूबी बेनकाब
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क> जा रह! हो ले9कन नेहk जी क समाजी #सयासी 9कया ह .उसी तरह कफ़> आज़मी न सांप “न§म क
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योगदान पर सा1हर ,शैलेS\ और कफ़> आज़मी साहब न े जKरय साJ+दा%यकता पर करारा तंज कसा ह और
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अथ पूण का5बलेतार!फ नVम और गीत #लखे| साJ+दा%यकता क सांप को समाyत करन क #लय दोन'
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नेहk जी क> शि{सयत क बार म कफ़> साहब न एक को 1हंदू मुि लम स उपर उठकर एक इंसान और
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न§म म #लखा ” िजंदगी का हो कोई िजहाद वो 1हSदु तानी बनन क> सलाह भी दते ह .कफ़> साहब
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हमेशा हआ सबस पहल शह!द“। कफ़> आज़मी न े #लखते ह -
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9फnम नौ%नहाल “म नेहk जी क> अज़ीम शि{सयत ”य 1हंदू नह!ं ह ,मुसलमां नह!ं,
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को क ु छ यूँ बयां 9कया - य दोन' क मज और खून चाटता ह,
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” मेर! आवाज़ सुनो yयार का राज सुनो बन जब य 1हंदू मुसलमां इंसा,
मई – जुलाई 70 लोक ह ता र