Page 73 - Microsoft Word - word lok hastakshar - Copy
P. 73
े
े
े
“बाKरश क 5बन तो धरती भी शुMक हो यह Uचढ़ कPवता क साथ नह!ं उस ‘कPवता’ क
ै
जाती ह।" साथ ह जो मुहhबत करती ह सा1हर को। बेपनाह
ै
ै
सा1हर अकसर ऐसा कहता। 9कतना कमीना मुहhबत।
ं
ं
ह वह भी। मg उसक सभी अथ समझती ह। रजना ने इSो करवाई थी हमार!।
ै
े
ू
“रात को बाKरश हई थी या नह!ं ?” “य हg मैडम रावी। मेर क ु ल!ग। साइकलोजी
े
े
ु
7
ं
वह जब पूछता ह तो मg खीझ जाती ह। ट!च करते हg कॉलेज म।”
ै
ू
ै
पता नह!ं वह &य' पूछता ह? सा1हर मु कराया। उसक> मु कराहट आंख'
ै
7
शायद कPवता क> तरह ह! +?येक बात म तक फल गई लग रह! थी मुझे।
से लु?फ लेने क> आदत हो उसक>। िजतना गहरा “बहत खूब! 9फर तो चेहर भी पढ़ लेते
े
ु
ै
े
ै
Kर`ता सा1हर का कPवता क साथ ह, उतना ह! ह'गे। साइकलोजी तो मेरा भी पसंद!दा सhजैकट ह
ै
े
ै
गहरा Kर`ता ह उसका ‘कPवता’ क साथ भी।.... मेरा तो मन करता ह 9क सामने खड़े हर Dयि&त
े
े
7
और शायद उस ‘कPवता’ का उस सा1हर क साथ का मन खंगाल लू। उसक> आंख' म से उसक
ं
े
े
ं
ह। बात तो एक ह! हई। इस तरह स कह लो चाह अSदर उतर जाऊ और 9फर उसक> +?येक सोच
ै
ु
ं
7
े
ै
उस तरह से। मुझे कPवता शhद क साथ Uचढ़ ह। को अपने काबू म कर लू।”
े
े
खास कर उस ‘कPवता’ क साथ जो सा1हर का दम मुझे लगा। सा1हर मेर! आंखो म दख रहा
7
भरती ह। मg उस कPवता को मार दना चाहती हँ। था।
ै
े
ू
7
परSतु हर बार असफल होती ह। उलटा खुद घायल मgने आंख फर ल!ं। 5बलक ु ल उसी तरह
े
ं
ू
ं
हो जाती हँ। तड़पने के #लए हमार! पहल! जैसे अभी कर रह! ह। यू ह! नाकाम सी को#शश।
ं
ू
ू
ै
7
ै
े
मुलाकात अ&सर मुझे याद आती ह। आंख मुदन भी कभी %छपता ह क ु छ। मg सा1हर को
ं
े
सा1हर इस शहर म कोई कॉSस अटड दूर जाता हआ दखती ह। आंख' क आगे 9कतना
7
ं
7
े
7
ु
ू
ै
े
करने क #लए आया था उसक> कPवताएं सुनने का क ु छ बनन-5बखरने लगता ह।
े
7
े
ै
मौका तो गंवा #लया था हाथ से पर सा1हर क “रावी हम 9कसी साइकटKरक से #मलना
े
साथ मुलाकात का मौका मgने हाथ से नह!ं जान चा1हए।”
े
1दया। मेर! क ु ल!ग रजना क प%त का #म6 ह ऐसी तो 9कतनी UचSता हो गई थी मेर!।
ै
ं
सा1हर। सा1हर उसक घर रा56 भोज पर आया था। पर वह भी तो अब पागल समझ रहा ह
े
ै
े
ं
े
रजना ने मुझे भी शा#मल होने क #लए कहा मुझे। पर वो &या जान। उस पल मg, मg नह!ं
े
े
े
ै
था..... और मgने उसका आमं6ण वीकार कर होती। कPवता बोलती ह मर अSदर से। #मटा दना
#लया। अजीब सी खुशी थी सा1हर को #मलने मन चाहती ह मg उसे। पर खुद ह! हो जाती ह चूर-चूर।
ं
ं
ू
ू
ै
म। बहत बड़ी फन थी मg उसक>। उसक> कई शीशे क> भां%त। 5बलक ु ल उसी 1दन क> तरह।
7
ु
कPवताएं मौLखक dप से याद थीं मुझे। उस 1दन पहल! बार उन ण' से गुजर!
े
.... और अब। थी मg। पर अब मेर #लए जैसे सब क ु छ आम सा
ै
नफरत हो गई ह जैसे ‘कPवता’ शhद से। हो गया ह। तब मुझे आदमकद शीशे म से कPवता
ै
7
9कतना बकवास लगता ह यह शhद। पर जानती ह 1दख रह! थी। लगा था जैस Uचढ़ा रह! हो मुझे।
े
ं
ै
ू
मई – जुलाई 73 लोक ह ता र