Page 77 - Microsoft Word - word lok hastakshar - Copy
P. 77
ं
7
ै
कांप तो मg भी जाती ह। कभी-कभी। ये रावी िजसम ऐमी डूब चुका था। कसे डुबो दूं मg
ू
े
ं
सब सोचकर। &य' कर रह! ह मg य सब। मां ह मg उसम पाक पPव6 सा1हर को। आLखर पा%नय' क>
7
ं
ू
ू
ं
ै
9कसी क>। प?नी ह मg 9कसी क>। यह धोखा नह!ं भी तो मया दा होती ह कोई। नह!ं तो कfचे भी
ू
ै
तो और &या ह? तैर गए होते इन पर।
9फर उसी पल..... अचानक कPवता बोलन पर &या जाने सा1हर। औरत सै&स क> ह!
े
े
ै
ै
लगती ह मेर भीतर से। नह!ं, yयार क> भी भूखी होती ह। इसी भूख क
े
7
ै
“पगल! ! yयार तो yयार होता ह। yयार म #लए तो मgने सा1हर को yयार 9कया था। 9कतनी
े
पहला दूसरा क ु छ नह!ं होता। न ह! ऐमी तेरा खुश थी मg सा1हर को हा#सल करने क बाद। मगर
पहला yयार न सा1हर दूसरा। अहसास कभी इन अफसोस.... dह' का yयार करने वाला इSसान
बात' क मोहताज नह!ं होते....।” िज म' क> पKर$मा करने म लग गया था।
े
7
ै
9कतना खूबसूरत शhद जाल बुनती ह वह। “मद तो होता ह! कमीना ह।”
ै
इतना खूबसूरत शhद जाल ह! तो सा1हर ने बुना डॉ. सोफ>या अकसर ऐसा कहती ह। जरा
ै
7
ं
ै
था। िजसम फस गई थी मg। 9कतने तक 1दए थे सी भी अस?य नह!ं ह उसक> यह बात। पर मg तो
उसने। उसक> बताई पKरभाषा म अहसास का दूसरा अस?य को ह! स?य समझ बैठt थी। 9कतना
7
नाम ह! yयार था। िज म' से आगे dह क> बात। खूबसूरत Áम पाला हआ था मgने अपने भीतर।
ु
े
े
..... और वह! dह को yयार करने वाला इSसान ..... पर अब जैसे सभी Áम ट ू टते जा रह हg मेर।
ै
जब ‘बाKरश’ को +तीक बनाकर ‘गुyत’ सी बात “Áम म भी जीना पड़ता ह कई दफा।”
7
7
ै
ं
ै
े
करता ह, तब उसक सभी अथ समझ जाती ह मg। कPवता जीना चाहती ह Áम म। पर मg
ू
ै
ला%न आती ह जब। कमीना स¼य होने का वांग नह!ं। मg जानती ह सा1हर दूर जा रहा ह मुझसे।
ै
ं
ू
रचता था। वह मेरा नह!ं 9कसी और का ह।
ै
जब वह “रात को बाKरश हई थी या नह!ं?” ...... और यह! सच ह।
ै
ु
ै
पूछता ह तो मुझे यह वा&य “रात को सै&स 9कया नई िजंदगी आरJभ करने जा रहा ह वो।
ै
था या नह!ं ?” ह! सुनाई दता ह। पता नह!ं इस %छन जाएगा मुझसे सब क ु छ।
ै
े
सब क> &य' UचSता रहती ह उसे। “आ जा ऐमी को छोड़कर, मg तो यू भी दो
ं
ै
ं
“1दमाग खराब ह उसका।” Pववाह करवा सकता ह।” 9कतनी बेहयाई से कहा
ै
ू
कभी-कभी इतना कहकर शाSत कर लेती था सा1हर ने।
ह 9क मg अपने आप को। सJभाल न पाई थी मg अपने आप को।
ं
ू
“खाने क> तरह इसक> भी तो भूख लगती सैल फोन फक 1दया था मgने।
7
े
ह। टक इट ईजी।” कPवता खड़ी भी मेर +?य ।
ै
े
ै
ऐसा कहता ह सा1हर अकसर। “जो िजतना तेर 1ह स का....।”
े
े
ं
जानता ह &या चाहता ह वो। पर मg ..... और पता नह!ं कब वे पल हावी हो
ै
ू
ं
कPवता ह। नह!ं बुझा सकती मg उसक> yयास। गए थे मुझ पर। जब होश आई थी तो चूर-चूर
ू
इसक #लए तो मुझे रावी होने क> जdरत थी। वह हआ पड़ा था कांच फश पर। ...... और माथे पर
े
ु
मई – जुलाई 77 लोक ह ता र