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                       लोग' से हटक िज़Sदगी जीने क दावे करन              ऐमी मनोरोग Pवशेष_ को #मलने क #लए
                                                  े
                                  े
                                                                       ै
                                                    ै
               वाला, नई िज़Sदगी शुd करने जा रहा ह। 9कतना         कहता ह।
                                                                                                      ं
                     ै
                                                                                                          ं
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               खुश ह सा1हर।                                            पर  कौन  जानता  ह  मेरा  दुख।  ऊची-ऊची
                       मगर मg......?                            रोने  लगती  ह  मg।  बेवजह  हसने  लगती  ह  मg।
                                                                             ं
                                                                                            ं
                                                                                                         ं
                                                                             ू
                                                                                                         ू
                                                                               ै
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                       मालूम नह!ं &य' सह नह!ं पा रह! ह मg।      कPवता बोलती ह उस पल।
                                                      ू
                       जानती  ह  यह  तो  होना  ह!  था।  पर  9फर        “पगल!  !  तू  भी  तो  9कसी  और  क>  ह।
                                                                                                            ै
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                                                                                              ै
               भी  1दल  और  1दमाग  म  संतुलन  नह!ं  बन  रहा।    सा1हर 9फर भी तो yयार करता ह न तुझे। तू &य'
                                     े
                                                                            ै
                                                े
               1दल चाहता ह सा1हर कवल मेरा रह। 9कसी अSय          टांग अड़ाती ह।”
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               क> बात' म नह!ं दख सकती मg उसे। पर 1दमाग                 मुझे कोई अSतर नह!ं सूझता।
                                 े
               कहता ह,  यह तो अटल ह।  वयं मg भी तो.....।               कमाल क> ह मg भी। &य' करती ह मg इस
                                        ै
                                                                                                      ं
                                                                                  ं
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                                                                                                      ू
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                                                                               ं
               ले9कन मg रावी नह!ं कPवता ह िजसने कवल सा1हर       तरह।  जानती  ह....  पूर!  तरह  नह!ं  अपना  सकते
                                                                               ू
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                                                                                 े
                         ै
               को चाहा ह।                                       हम दोन' एक-दूसर को। 9फर भी नह!ं सहन होता
                                े
                       “कPवता  स  भूख  नह!ं  #मटती।   वyन  एवं   मुझसे। नह!ं बांट सकती मg सा1हर को 9कसी और
                                                                                            े
                                                                          ै
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               वा तPवकता म अSतर पता ह तुJह ?”                   क साथ। कसी मान#सकता ह य?
                                                            ै

                       मg जानती ह 9कस भूख क> बात करता ह                “तू  भी  कhजा  करना  चाहती  ह।  मद  ह!
                                  ं
                                                                                                    ै
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               सा1हर मगर उस तो कवल yयार क> ह! भूख थी।           नह!ं औरत भी कhजा करना चाहती ह। पगल!....
                                    े
               अचानक  यह  ‘भूख’  कहां  से  +गट  हो  गई  उसक     यह तो जायज नह!ं ह ना...।”
                                                            े
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               भीतर।  वह  सJपूण   औरत  क  #लए  तड़पता  ह।               जायज  नाजायज  क>  कशमकश  म  उलझी
                                                           ै
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                                                                                                        ै
               इसी#लए  तो   वyन  और  वा तPवकता  म  अSतर         रहती ह मg आजकल, कब कPवता बोलती ह, कब
                                                                       ू
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               समझाने म लगा ह वह मुझे।                          रावी,  पता  भी  नह!ं  चलता।  कभी  दोन'  ह!  चुप
                                                                       g
                       जब  ये  बात  याद  आती  हg  तो  सSतुलन    रहती ह..... 9फर भी शोरगुल होता ह मेर भीतर।
                                                                                                  ै
                                                                                                      े
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               1हल जाता ह मेरा। पागल' क> तरह Dयवहार करन         चुyपी का यह KरÍ बेचैन बनाए रखता ह मुझे।
                                                            े
                                                                                                   ै
                           ै
               लगती ह मg। कPवता 1दखाई दने लगती ह मुझे।                 मg  कPवता  ह  या  रावी  फसला  नह!ं  कर
                                            े
                                                       ै
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                                                                                   ू
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                                                                              े
               वह  कPवता  जो  मेर  भीतर  बैठt  ह।  वह!  कPवता   पाती मg। खुद स खुद ह! उलझी रहती ह मg।
                                                                                                   ू
                                          ै
               िजसे  लगाने  वाला  सा1हर  ह।  जो  तलाशता  नह!ं          “पगल! ! लु?फ ले इस उलझन को”
                         ै
               तराशता  ह।  वह!  सा1हर  9कसी  और  का  होन  जा           मg रावी ह ?
                                                         े
                                                                                ं
                                                                                ू
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               रहा ह। नह!ं सह पा रह! ह मg। कPवता और रावी        कPवता ह ?
                                        ं
                                                                        ू
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               म  युW  चलता  ह  उस  पल।  ह  न  अजीब  सी         कौन ह मg ?
                                                                      ं
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                                                                      ू
               उलझन। मg 9कसका साथ दूं, समझ नह!ं पा रह!          कोई बताए तो सह!।
                                                                                                         े
                    े
               मg। दखा नह!ं मेरा दुखांत। एक क> तो होकर भी       पर दखो..... सा1हर दूर होता जा रहा ह मुझस।
                                                                                                  ै
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               नह!ं हो सक> मg और एक को पाकर भी नह!ं पा          दूर....दूर...और दूर.... मृग तृMणा क> तरह।
                                                                            ं
                                                                                          ं
               सक> मg।                                          मg दौड़ रह! ह ? हांफ रह! ह। इस अSधे माdथल
                                                                                          ू
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               मई – जुलाई                             79                                                                   लोक ह ता र
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