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“पगल! लु?फ उठा। जो िजतना तेर 1ह से मg जानती ह वह कभी क ु छ नह!ं कहता।
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का ह..... उतना ह! आनSद उठा ले उससे। दख.... पर बहत क ु छ चलता रहता ह उसक भीतर। वह
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मेर! तरफ दख।” कहना चाहता ह 9क सा1हर का छोड़ दूं या Pववेक
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“.... और मgन पता नह!ं कब अपना #सर को। दोन' म से 9कसी एक का चुनाव कर लू।
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उस शीशे क साथ टकराया।” बहत दया आती ह उस पर उस व&त। पर कस
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पर कPवता तो कह!ं भी नह!ं थी वहां पर। समझाऊ उसे 9क सभी इतने भी खास नह!ं होते।
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वहां पर तो बस चकनाचूर हआ कांच था और मेर Pववेक तो मेरा नैट ड ह बस। सा1हर क शहर
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माथे से बहता हआ खून। का। पढ़न-#लखने म kUच रखने वाला। नैट पर ह!
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“उस बेजान कांच ने तेरा &या 5बगाड़ा था #म6ता हई थी हमार!।
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कPवता ?&य' $ोध %नकाला तूने अपना उस पे। ... और धीर-धीर सैल नंबर ए&सचज कर
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ऐसी हरकत खतरनाक ह....।” #लए। मुझे Pववक स बात करना अfछा लगता ह।
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पता नह!ं सा1हर सहानुभू%त 1दखा रहा था इसी#लए तो मgने Pववक क बार म सा1हर को
या कह रहा था 9क तू पागल होती जा रह! ह। बताया था। दोन' क> भट करवाई। सा1हर Pववक
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शायद सह! सोचता ह वह। सचमुच पागल को उसक ऑ9फस जाकर #मलकर आया था। दोन'
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होती जा रह! ह मg। पर मg पागल तो उसी 1दन म #म6ता हो गई। परSतु कवल चार मुलाकात' म
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हो गई थी िजस 1दन पहल! बार कPवता क> बात ह! सा1हर Pववेक क नाम से खीझ गया था। 9कसी
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मानी थी। कPवता क> बात मान कर ह! मgने फोन मह9फल म बैठ 5बठाए ऐसा पता नह!ं &या हो
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9कया था सा1हर को। पहल! मुलाकात क बाद गया था 9क दोन' #म6 भी नह!ं रह।
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पहला फोन। .... और 9फर फोन और मुलाकात' ...... उस 1दन पहल! बार हम दोन' म
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का #सल#सला शुd हो गया। अब भी चार बार फोन Pववेक को ल क बहस हई थी।
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कर चुका ह सा1हर। नह!ं करना चाहती मg उसस तू जानती ह! 9कतना ह उसे ? नैट पे चार
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बात। &या समझे सा1हर। ऐसा भी सोचता ह 1दन बात करक नJबर बदल #लया उसक साथ।
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इSसान कभी-कभी। सब क ु छ से मुि&त चाहता ह। Kर`ते बनाने का ढग तो कोई तुमसे सीखे। ऐसा
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5बलक ु ल मेर! तरह। जैस अब भी चाय पी रह! ह। कर खान पान ओट ल उसका। तेरा ‘अपना’ जो
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पर 9कसक साथ। यह! फसला कर पाना मुि`कल ह हआ। तेरा वह! ‘अपना’ तेर बार म.....।
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मेर #लए। सा1हर ने बात अधूर! ह! छोड़ द! थी।
9कतनी खूबसूरत थी वह शाम। बहत पूछताछ क> थी मgने। जानना चाहती
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9कतनी बात क> थी मgने सा1हर क साथ। थी मg 9क &या कहा था Pववेक ने मेर बार म। पर
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मेर बार म, डायमंड क बार म और उसक> कPवता +?येक बार एक ह! उ?तर 1दया था सा1हर
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क बार म।... और गलती से Pववेक क बार म भी। न.....“वह &या कहता ह यह बात अUधक मायन
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पर अब Pववेक क नाम स भी Uचढ़ जाता नह!ं रखती। आव`यक तो वह ह 9क जो मg कह
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ह सा1हर। रहा ह। दूर! बना उसस। बस.....। पर तेर! तो
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lयौKरयां ह! अलग हg। 9क उसने कौन सा उतार
मई – जुलाई 74 लोक ह ता र