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ग़ज़ल
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तुझ स न #शकायत ह न #शकव भी #मर ह
आवाज़ तो मेर! ह य लहजे भी #मर ह
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ग1दशज़दा हालात तो वैस भी #मर ह
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गैर' स नह! अपन' स हारा ह मg बाज़ी
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आंख' म #लए 9फरता ह सहराई का मंज़र
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ह kख़ भी #मरा और Pपयाद भी #मर ह
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पलक' प मगर आब क क़तर भी #मर ह
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रहते ह कई लोग मेर िज म क अंदर
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वो शÖस भी मg ह! था पस- आइना पहल
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इस भीड़ म शा#मल कई चेहर भी मेर ह
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य अ&स क 5बखर हए ट ु कड़े भी #मर ह
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तू दख 9क उस ख़ून का इnज़ाम ह मुझ पर
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ग1दशज़दा – कालच$ का मारा
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द!वार प िजस ख़ून क छtंट भी #मर ह
सहराई – वीरानी
5बकना भी मुझी को ह ख़र!दार भी मg ह आब – पानी
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और उसप #सतम ह 9क य #स&क भी #मर ह
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म`क ू क – आशका त
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मशक ू क ह मg खुद भी यहां ह 9क नह!ं ह kख़ – शतरज का एक मोहरा
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मई – जुलाई 85 लोक ह ता र