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स उलाहन करते हए.... ऊची आवाज म Uचnलाते यह! आशंका थी... जहर #मयां क मरन का डर
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हए...। था.... उसस कभी भी भट न कर पान का दश
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था.... उ क आLखर! पड़ाव पर चल रह श{स क
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तीसर 1दन उसक पड़ोस म रहन वाल
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+%त ऐसी आशंकाओं का पनपना झूठ थोड़े होता
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रलव स सेवा%नवृ?त साथी सुखन पि2डत न उसक
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ह.... जहर #मयां को %तवार! जी क लेखक #म6 का
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बार म ढर-सी जानकाKरयां द! थी.... उसक मरन
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1दल रखना था.... उनक> +ती ा 9कए 5बना मरना
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क> खबर सभी क #लए अPव`वसनीय होन लगी
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नह!ं चा1हए था.... अब पठानकोट वाल लेखक #म6
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थी, %तवार! जी भी ह&क-ब&क रह गए थे, सच ह!
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को सल!क स समझना होगा 9क झांसी शहर क>
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इस बार उस कगाह म ह! दखन जाना था.... वह
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ग#लय' म स एक मसखरा अलोप हो गया ह....
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अब वापस थोड़े आएगा... वहां स कभी कोई वापस
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अब व उसस कभी #मल नह!ं पाएंग... उसक गल
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आया ह ? वह कह!ं दूसर! जगह जा भी नह!ं
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नह!ं लग पाएंग.... उस झांसी क> ग#लय' म
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सकता था।
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आवारागद करते हए दखन क> अपनी अfछा का
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पठानकोट वाल लेखक #म6 का प6 अब वयं वध कर दना होगा.... उसक> मौत क> खबर
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और भी मह?वपूण हो गया ह.... &य'9क प6 म भी झूठt हो ह! नह!ं सकती।
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सपक: 1288, लन-4, राम शरणम कालोनी, डलहोज़ी रोड़, पठानकोट-145001
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फोन: 0186-2229440, मोबाइल: 6280683663 bZesy % sailibaljit@gmail.com
लघुकथा डश वॉशर
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घर म बत न साफ करन क> मशीन आन स सभी बेहद खुश थे। गल! मोहnल क लोग भी
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उ?सुकतावश चल आते दखने। इस शहर म शायद य पहला घर होगा जहाँ ऐसी मशीन आई होगी।
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सुना तो था 9क Pवदश' म ऐसी मशीन होती ह अब अपन दश म भी !
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मशीन को दखन का कौतूहल कई 1दन' तक बरकरार रहा। सभी तो खुश थे एक दाद! को छोड़कर! वह
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वैस भी जnद! खुश होती ह! कहाँ ह ! हर चीज म कोई न कोई कमी %नकाल ह! दती हg।
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अपन कमर म बैठ सारा 1दन बुड़बुड़ाती रहतीं
बस इन मशीन' पर %नभ र हो जाओ! शम ह! नह!ं आती आजकल क बfच' को!
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अब भला इसम शम क> &या बात! य तो गव क> बात ह 9क पहल! मशीन हमार घर आई।
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सभी दाद! क> बात सुन खूब हँसते। एक 1दन छोट न पूछ ह! #लया- दाद!! मशीन आन स सभी तो
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खुश ह! #सफ तुJह!ं &य' परशान हो.कभी सोचा ! मशीन आन स बत न साफ करन आन वाल! महर!
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शां%त क 1दल पर &या बीतती होगी ! उसका घर कस चलता होगा और! और!
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और शां%त क न आन पर मेरा अकलापन कस कटगा! आग क शhद दाद! क गल म ह! घुट कर रह
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गए।
- अंजू खरबंदा, 207, |Pवतीय तल, भाई परमानंद कॉलोनी, 1दnल!
मई – जुलाई 35 लोक ह ता र