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P. 30

सैल6 बलजीत

                                                                                           े

                                                                सैल! बलजीत क> कहा%नय' क कथानक और पा6
                                                                         े
                                                                                              े

                                                         रोजमरा  िजंदगी क आम लोग होते हg। व अनेक सJमान'
                                                                                                े
                                                         स  अलंक ृ त  ह,  िजनम  कS\!य  1हSद!  %नदशालय  (मानव
                                                           े
                                                                      g
                                                                                े

                                                                             7

                                                         संसाधन  Pवकास  मं6ालय)  नई  1दnल!  क  1हSद!तर  भाषी
                                                                                              े

                                                                       े
                                                         1हSद! लेखन क अंतग त ‘मुखौट' वाला आदमी’ क ृ %त पर

                                                         राMš!य  पुर कार  +ाyत।  अंतरा Mš!य  1हSद!  सJमेलन
                                                                                            ,

                                                         मार!शस,  पेKरस,  हांलgड,   वीटज़रलैड,  बेलिजयम  तथा
                                                                 7
                                                                                           ा
                                                                                         म
                                                                                        J
                                                                                       स
                                                                                            %
                                                                                            न
                                                         जम नी म स9$य भागीदार! तथा सJमा%नत।
                                                                                               ।
                                                                                              त
                                                                                                ं
                                                                                              ए
                                                                                                            े
                                                         क ृ %तयां: कहानी सं–ह: अपनी-अपनी 1दशाए/गील! #म¹ी क
                                                                                          1
                                                                                           द
                                                                                            श
                                                                                                ं
                                                                                              ा
                                                         Lखलौन/तमाशा  हआ  था/अब  वहां  सSनाटा  उगता  ह/बापू
                                                                                                         ै
                                                               े
                                                                                              ट
                                                                                            न
                                                                                         स
                                                                                               ा
                                                                                           S
                                                                                             ा
                                                                         ु
                                                                                            त
                                                         बहत  उदास  ह/यं6-पुkष/समंदर  म  उतर!  लड़क>/मुखौट'
                                                                                           उ
                                                                       ै
                                                                                         7
                                                                                               !
                                                                                              र
                                                            ु
               वाला आदमी/घर}द स दूर/अंधा घोड़ाा/वह आदमी नह!ं था/यह नाटक नह!ं था/टyपरवास/घोड़े अब हांफ रह
                                                                                            /
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                                                                                                             े
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                                         S
                                                                          ं
                                              ह
                                        च
                                           \
                                                                                             न
                                                                                             ा
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                                            म
                                                                                           क
                                                                                         म
               ह/तुम यहां खुश हो  ना...  चS\मोहनन/पंजाब क> ~Mठ लोककथाए/नंगी  ट'  वाला मकान/यह मुि&त पथ
               नह!ं।
               उपSयास : मकड़जाल, नाटक: नागफ%नय'' क दश म, लघुकथा : खाल! हाथ और लपट, आज क दवता
                                                                                            7
                                            ा
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                                             ग
                                              फ
                                                                                                    े
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                                                %
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                                                                                                       े
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                                                                                            ,
                                               7
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                                                      g
               कPवता सं–ह : Pपता जी जब घर मम होते ह, ग़ज़ल सं–ह: छाँव खतर म ह,
                                 े
                                                     7
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               सं मरण: मेर आईन म, अपन-अपनन आईन,  मृ%तय' क तलघर
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                                                                                       7
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               संपा1दत कहानी सं–ह: धूप म नंग  पांव, कहर क 1दन, खूबसूरत शहर और चीख
                                              े
                                                 ं
               शी¥ +काशय: मg बहत उदास रहता  ह इन 1दन' (कPवता सं–ह)
                                                 ू
                                  ु

                                        तुम  उस तलाशन मत आना
                                                     े
                                                                   े
                                                                                                 सैल! बलजीत
                                                                                             र
                                                   7
                       वह  एकाएक  मसखर'-सी  हरकतत  &य'  करन  लगा  था?  इस  आLखर!  पड़ाव  पर  आकर  सच  ह!
                                                   7
                                                क
                                                              े
                                                                                            प
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                                                                                        ब
                                                                                          न
                                               भ
               आदमी मसखरा हो जाता ह? वह कभीी-कभार लोग' क #लए मजाक का पा6 &य' बनन लगा था? 1दनभर
                                       ै
                                              क
                                                                                             े
                                                                                            े
                                                                                           न
               &या-&या नह!ं करता था वह... उसक>> 1दनचया  भी अजीब थी सुबह उठते ह! बस अqडे क बाहर वाल
                                                                                                  े
                                            उ
                                              स
                                                                                                             े
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               चाय क खोखे को kख लेता... वहांां चाय पीना तो एक बहाना होता था... दरअसल अपन जैस ख1टयल
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                                                                                                     े
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               मई – जुलाई                                                          30                                                                                                                                      लोक ह ता र
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