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               9कया। नागाजु न ने जनता क>भावनाओं और सम याओं को आम आदमी क> भाषा म अ#भDय&त 9कया
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               इस#लए उSह जनकPव क dप म पहचान #मल!। इसी तरह +ग%तशील जनकPव, शायर और समाजवाद!
               Pवचारधारा को अपनी नVम' व गजल' और गीत' क माzयम से खास ओ आम तक पहचान क कारण
                                                                                                ं
                                                              े
                                                                                                    े
                                                                                                      े
                                                                                                ु
               कफ> आजमी को शायर! का सूख  फ ू ल कहा गया।
                 ै

                                          "
                                        7
                                                                                                   ै
                भारत  क>  जंग  आज़ाद! म  कलम  क>  तलवार     "   {वाजा अहमद अhबास क साथ–साथ कफ़> को भी
                              े
                                                                                       े
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               से  लड़ने  वाले  इंक़ला5बय'   म  एक  Pवशेष    नाम  त?काल!न  सोPवयत  संघ  जाने  का  कई  बार  मौका
                                 ै
                 ै
                                                                            ै
                                                                                 े
               कफ़> आज़मी का ह। उनक> रचनाएं  वांतः सुखाय  #मला और  कफ़> क साथ साथ इन सभी कPवय' –
                                                                                                             े
               न  होकर  सव जन  1हताय  का  सfचा  आईना  हg।  लेखक'  क    #लए  आUथ क–सामािजक  समानता  क
                                                                        े
               शोषण  और  उ?पीड़न  क  Lखलाफ  %नभ”कता  स  #लए  समाजवाद रा ता भी था और मंिजल भी।
                                                             े
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                                                                                            ै
               आवाज़  उठाने  वाल,                                                          कफ़> आज़मी क पाँच
               समाजी  और  #सयासी                                                          कPवता सं–ह +का#शत
                                                                                                    “
                                                                                                    ,
               मसल'  पर  बेबाक                                                            हए  झंकार  “आLखर  े
                                                                                           ु
                                                                                             –
                                                                                              “
               और  बखौफ  1टyपणी                                                            -शब     “आवारा
                                                                                               ,
                      े
               करने  वाल,  वंUचत',                                                        सVद   , “मेर!  आवाज़
                         े
                                                                                               े
                                                                                               ”
                                                                                              )
               मजदूर',     कामगार'                                                        सुनो    “9फnम  गीत'
                                  े
               और     9कसान'     क                                                        का     संकलन      (
               रहनुमा कफ़> आज़मी                                                            ”सरमाया  ”    “ | नई
                        ै
                                                                                            ै
               वा तPवक         नाम                                                        कफ़> गु#ल ताँ “उनका
                                                          े
                                                            े
                        ु
               (अतहर हसैन Kरजवी) का जSम आजमगढ़ िजल क  ग|य  सं–ह  है।कै फ़>  |वारा  रUचत  अUधकांश  नVम7
               #मजवा  गांव  म  1919  म  एक  #शया  जमींदार  ,गजले और नगम7    कालजयी इस#लए हg &य'9क ये
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                          ु
               पKरवार म हआ। जSम क> सह! तार!ख न तो कफ़>  िजंदगी क> हक>क़त से dबd कराती हg,उनक> रचनाओं
                                        े
               को  मालूम  थी  न  उनक  पKरवार  वाल'  को।  म7  लोक  जीवन  धड़कता  है।  |आम  आदमी  उनक>
                                                 े
               तकर!बन  पांच  दशक  पहले  उनक  #म6  और  कPवताओं को पढ़कर या सुनकर दुःख के  दलदल से   ,
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               डा&यूमš! 9फ़nम मेकर सुखदव न 14 जनवर! को  %नराशा के  घने कोहरे से बाहर %नकलकर अपने जीवन
                                              े
               पहल! बार उनका जSम1दन उनक घर पर मनाया  को  बेहतर  बनाने  क>  को#शश  करता  है।    कै फ़>  क>
                                                   े
                                                             े
               तभी  से  हर  वष   14  जनवर!  को  उनक  घर  वाल  शायर! ना -उJमीद! क>  याह रात को आशा के    सुनहरे
               और  चाहने  वाले  उनका  जSम1दन  मनाने  लगे।  +भात  म7  बदलने      क>  1हJमत  और  ताकत  देती  है।
                                                          े
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               समाजवाद क पुजार! कफ़> साहब न अपन बार म   उनका सा1ह?य  वाSतः सुखाय न होकर सव जन 1हताय
               एक  बात  अनेक  अवसर'  पर  कह!  ”मg  गुलाम  का पया य है। एक उदाहरण का5बलेगौर    है  –
               1हंदु तान म पैदा हआ  आजाद     ,1हंदु तान म बूढ़ा  आज क> रात बहत गम  हवा चलती है
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                                                                             ु
               हआ  और सोश#ल ट 1हंदु तान म मd ँ गा। फज़ ,         आज क> रात न फ ु टपाथ प नींद आयेगी
                                                         ै
                                                                                      े
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                                                                                                ,
                  अल!सरदार  जाफर! ,+ेम  धवन ,शैलेS\  और  सब उठो  , मg भी उठ ू ,  तुम भी उठो ,  तुम भी उठो  ,


               मई – जुलाई                             66                                                                   लोक ह ता र
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