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                       “बाKरश  क  5बन  तो  धरती  भी  शुMक  हो   यह  Uचढ़  कPवता  क  साथ  नह!ं  उस  ‘कPवता’  क
                      ै
               जाती ह।"                                         साथ ह जो मुहhबत करती ह सा1हर को। बेपनाह
                                                                                           ै
                                                                      ै
                    सा1हर अकसर ऐसा कहता। 9कतना कमीना            मुहhबत।
                                                                        ं
                                                     ं
               ह वह भी। मg उसक सभी अथ  समझती ह।                        रजना ने इSšो करवाई थी हमार!।
                 ै
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                       “रात को बाKरश हई थी या नह!ं ?”                  “य हg मैडम रावी। मेर क ु ल!ग। साइकलोजी
                                                                                           े
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                       वह  जब  पूछता  ह  तो  मg  खीझ  जाती  ह।   ट!च करते हg कॉलेज म।”
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               पता नह!ं वह &य' पूछता ह?                                सा1हर मु कराया। उसक> मु कराहट आंख'
                                                                      ै
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                       शायद कPवता क> तरह ह! +?येक बात म         तक फल गई लग रह! थी मुझे।
               से लु?फ लेने क> आदत हो उसक>। िजतना गहरा                 “बहत  खूब!  9फर  तो  चेहर  भी  पढ़  लेते
                                                                                                े
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               Kर`ता  सा1हर  का  कPवता  क  साथ  ह,  उतना  ह!    ह'गे। साइकलोजी तो मेरा भी पसंद!दा सhजैकट ह
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               गहरा  Kर`ता  ह  उसका  ‘कPवता’  क  साथ  भी।....   मेरा तो मन करता ह 9क सामने खड़े हर Dयि&त
                                                       े
                                                                                                             े
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               और शायद उस ‘कPवता’ का उस सा1हर क साथ             का  मन  खंगाल  लू।  उसक>  आंख'  म  से  उसक
                                                                                  ं
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               ह। बात तो एक ह! हई। इस तरह स कह लो चाह           अSदर  उतर  जाऊ  और  9फर  उसक>  +?येक  सोच
                 ै
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                                                                                      ं
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               उस तरह से। मुझे कPवता शhद क साथ Uचढ़ ह।           को अपने काबू म कर लू।”
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               खास कर उस ‘कPवता’ क साथ जो सा1हर का दम                  मुझे लगा। सा1हर मेर! आंखो म दख रहा
                                                                                                    7
               भरती ह। मg उस कPवता को मार दना चाहती हँ।         था।
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               परSतु हर बार असफल होती ह। उलटा खुद घायल                 मgने  आंख  फर  ल!ं।  5बलक ु ल  उसी  तरह
                                                                                   े
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               हो  जाती  हँ।  तड़पने  के   #लए  हमार!  पहल!      जैसे अभी कर रह! ह। यू ह! नाकाम सी को#शश।
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               मुलाकात अ&सर मुझे याद आती ह।                     आंख मुदन भी कभी %छपता ह क ु छ। मg सा1हर को
                                                                       ं
                                                                                                े
                       सा1हर  इस  शहर  म  कोई  कॉS‘स  अटड       दूर जाता हआ दखती ह।  आंख' क आगे 9कतना
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                                                                         े
               करने क #लए आया था उसक> कPवताएं सुनने का          क ु छ बनन-5बखरने लगता ह।
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                                                                                7
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               मौका  तो  गंवा  #लया  था  हाथ  से  पर  सा1हर  क         “रावी  हम  9कसी  साइकटKरक  से  #मलना
                                                            े
               साथ  मुलाकात  का  मौका  मgने  हाथ  से  नह!ं  जान   चा1हए।”
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               1दया।  मेर!  क ु ल!ग  रजना  क  प%त  का  #म6  ह          ऐसी तो 9कतनी UचSता हो गई थी मेर!।
                                                            ै
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               सा1हर। सा1हर उसक घर रा56 भोज पर आया था।                 पर  वह  भी  तो  अब  पागल  समझ  रहा  ह
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                                                                                                             ै
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               रजना  ने  मुझे  भी  शा#मल  होने  क  #लए  कहा     मुझे।  पर  वो  &या  जान।  उस  पल  मg,  मg  नह!ं
                                                                                                           े
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               था.....  और  मgने  उसका  आमं6ण   वीकार  कर       होती। कPवता बोलती ह मर अSदर से। #मटा दना
               #लया। अजीब सी खुशी थी सा1हर को #मलने मन          चाहती ह मg उसे। पर खुद ह! हो जाती ह चूर-चूर।
                                                                                                     ं
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                                                                        ू
                                ै
               म।  बहत  बड़ी  फन  थी  मg  उसक>।  उसक>  कई        शीशे क> भां%त। 5बलक ु ल उसी 1दन क> तरह।
                 7
                      ु
               कPवताएं मौLखक dप से याद थीं मुझे।                       उस  1दन  पहल!  बार  उन   ण'  से  गुजर!
                                                                                  े
                       .... और अब।                              थी मg। पर अब मेर #लए जैसे सब क ु छ आम सा
                                                                         ै
                       नफरत हो गई ह जैसे ‘कPवता’ शhद से।        हो गया ह। तब मुझे आदमकद शीशे म से कPवता
                                      ै
                                                                                                   7
               9कतना बकवास लगता ह यह शhद। पर जानती ह            1दख रह! थी। लगा था जैस Uचढ़ा रह! हो मुझे।
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               मई – जुलाई                             73                                                                   लोक ह ता र
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