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                                     े
               9कतना क ु छ था जो मेर 1दमाग म उलझा रहता।         और सा1हर को यह! बात अचं#भत करती ह। .....
                                                                           ै
                                                                                                             े
               इसी उलझने म उलझी हई मg कPवता कब बन गई            वह कहता ह 9क िजसको जानती तक नह!ं उसक
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                                     ु
                                                                                                          े
                                                                                                             g
               थी मुझे खुद को भी आभास तक नह!ं हआ था।            साथ नजद!9कयां बनाए बैठt हो। बहत लोग बैठ ह
                                                   ु
                                                                                                ु
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                       “ना तू #म#सज ऐमी। ना +ोफसर रावी। तू      इन साईटस पर। सोशल क नाम पर ‘’शोषण’ और
                                                            ै
                                                                        े
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               तो कPवता ह मेर!। कPवता आ?मा म बसी हई ह           चै1टंग’ क नाम पर  ‘ची1टंग’ करने वाले।
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                                                         ु
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                                                                                                         े
               मेर।  .....  और  कPवता  क>  भां%त  ह!  तुJहार!          मg समझती ह यह बात हरान नह!ं परशान
                                                                                   ं
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                                                                                   े
               मुहhबत। तू सा1हर क> ह। #सफ मेर! और मेर!।”        करती  ह  उसे।  बचार  का  रग  लाल  हो  जाता  ह
                                                                                                             ै
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                                                                        ै
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                       सा1हर हमेशा कPवता क नाम से पुकारता       Pववेक  का  नाम  सुनते  ह!।  कभी-कभी  तरस  भी
                                                                                            ं
                                                                             ै
               था  मुझे।  मg  कPवता  क  नाम  से  जीती  रह!।  पर   आने लगता ह मुझे। सोचती ह बहत yयार करता
                                     े
                                                                                                ु
                                                                                            ू
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               अब......। उसी कPवता स भयभीत ह मg। खीझ रह!        ह मुझे। इसी#लए अUधकार जताता ह मुझ पर। पर
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                                                                 ै
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                 ं
               ह मg। पता नह!ं &य'। बहत क ु छ ह िजसका उ?तर       कभी-कभी  लगता  ह  9क  अUधकार  नह!ं  यह  तो
                                               ै
                                                                                  ै
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               न मेर पास ह और न ह! कPवता क पास। बfच'            कhजा ह। सभी मद एक से ह! तो होते ह....। जेब
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                                                                                         g
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               क> तरह रोने लगती ह मg, बैठt-बैठt।  5बना 9कसी     म  डालकर  रखना  चाहते  ह  औरत  को।  तब  कभी
                                   ं
                                   ू
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                                                                                     े
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               बात क। कभी-कभी हसने लगती ह। 5बना वजह।            मदw क> 9फतरत क बार म सा1हर को क ु छ कहती
                                                                                        7
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               ऊची-ऊची।  पागल'  क>  तरह।  ह  न  अजीब  सी        ह तो तड़प उठता ह वह।
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               हालत।  पता  नह!ं  कसी  गांठ  ह  मेर  भीतर  जो           “सभी मद..... मतलब तुम 9कतने मदw को
                                  ै
                                                  े
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               खुलती नह!ं।                                      जानती हो ?”
                                                            े
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                       कभी  ऐसी  ह!  पKरि थ%तय'  म  Pववेक  क           बड़ा ती ण वार करता ह वह।
               साथ #म6ता क> थी मgने। मg बहत उदास थी उन                 “सा1हर  द  –ेट  !  मेरा  तो दो  जन'  से  ह!
                                             ु
                                          ं
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                                                                                                          7
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               1दन'। सोचती थी 9क मर जाऊगी मg एकांत म डर         वा ता पड़ा ह। तू और ऐमी। इसी अनुभव म स
                                                                                                             े
                                                                        ै
               जाती।  बेजान  व तुएं  तोड़  दती।  कॉलज  म  समर    बताया ह मgने तो।”
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               वैकशन चल रह! थी। मg सारा 1दन उदास अSदर                  मेर! बात सुनन क प`चात बड़ा मासूम सा
               पड़ी रहती। 9कतना बड़ा कारण था इस उदासी का।         चेहरा बन जाएगा उसका।
                                                                                                            ै
                  े
               मेर एकमा6 भाई क> मृ?यु। मg 1हल गई थी जैसे।              “तू  ह  ह!  इतनी  खुबसूरत।  मुझे  भय  ह।
                                                                            ै
               मुझे Dय त करन क #लए ऐमी लैपटाप ले आए।            अगर  कोई  तुझे  वश  म  करक  ल  गया।  मg  कहां
                                                                                      7
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                      े
               मg उसक साथ मन परचान क> को#शश करती। ....          जाऊगा।”
                                                                   ं
               और 9फर 9कसी सोशल नेटवर9क ं ग साइट पर बहत                झूठा  सा  मु करा  लती  ह  मg,  उसक>  इस
                                                                                          े
                                                                                              ं
                                                                                              ू
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               से #म6 बना #लए। उनक साथ बात करते हए मg           बात  पर।  पर  मन  ह!  मन  कहती  ह  9क  भय  तो
                                                        ु
                                                                                                 ू
                                                                          ै
                                                                              े
               सब क ु छ भुलाने क> को#शश करती। इसी तरह एक        कोई और ह तेर अSदर। जो अपने प%त को धोखा
                                                                                                    े
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                                    े
               1दन ‘ड #ल ट म Pववक को ऐड कर #लया। सारा           दकर  तुझे  yयार  कर  रह!  ह  वह  तेर  +%त  भी
                                                                                           ै
                     g
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               1दन हम चै1टंग करते रह। बहत हसाया करता था         वफादार ह या नह!ं। इस बात का Pव`वास नह! ह
                                      े
                                                                                                             ै
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               Pववेक  मुझे।  #मले  नह!ं  मg  और  Pववेक  कभी  भी।   तुJह।
               बस बात क> हg। फोन पर या 9फर नैट पर। .....
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               मई – जुलाई                             76                                                                   लोक ह ता र
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