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               बंधी  हई  डॉ.  वा#लया  क>  पŠ ट!।  डायमंड  दौड़कर   कोई तुझे जानता ह। 9कसी को तू जानती ह। मg
                                                                                                         ै
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               आया था अपने dम म से। सहम गया था बचारा।           तेर! तरह Kर`तेदाKरयां नह!ं गांठता 9फरता, तेर! ये
                                    7
               बाल उखाड़ डाले थे मgने अपने।                      सांझ तुझे मुबारक।“
                                                                                       ै
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                       “पापा &या हो जाता ह ममां को ?”           9कतना अUधकार जताता ह बेचारा मुझ पर। जो वो
                                                                           ं
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                                                                                                        े
                       वह कई 1दन ऐमी से पूछता रहा था।           कह वह! कd। जहां कह बैठ जाऊ। जब कह खड़ी
                                                                                              ं
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                       मg  zयान  से  डायमंड  क>  ओर  दखती।      हो  जाऊ।  हसती  ह  मg।  उसक>  इस  हालत  पर।
                                                                       ं
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               लगता था जैस सा1हर खड़ा हो मेर सामने। 9कतना        सा1हर  द  –ेट।  जो  #लखते  हो  कभी  जी  कर  तो
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                                                                 े
               #मलता  ह  डायमंड  सा1हर  से।  वह!  श&ल  सूरत।    दखो। पर अपने ह! #लखे शhद' का अथ  दना कोई
                                                                                                      े
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               वह! आदत। बोलचाल का भी वह! अंदाज।                 मामूल! बात तो नह!ं होती। औरत क>  वतं6ता क>
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                                                                                                            ै
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                       ..... और भी बहत सी बात। ऐमी जैसा तो      बात करने वाले का जेहन खुद 9कतना गुलाम ह।
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                                                                                ं
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               ह ह! नह!ं डायमंड, सब स yयार! मुझे उसक> कह!       च9कत रह जाती ह मg।
                                                                                ू
               वह बात लगी थी.......                                    “पगल!  !  च9कत  मत  हो।  इसी  को  तो
                                                                                                     ै
                       “ममां ! आई वांट ट ू  बीकम ए पोइट।”       िजंदगी कहते हg। तू ह! बता..... कौन ह यहां जो
                       मgने  कसकर  गले  से  लगा  #लया  था       भीतर  बाहर  से  एक  हो।  तू  कौन  सी  एकसुर  ह।
                                                                                                            ै
               उसको। 9कतनी खुशी क साथ बताई थी मgने यह           जरा अपने ह! अSदर नजर डालकर दख।”
                                                                                                 े
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                                                                                                         ै
               बात सा1हर को।                                           अचानक कह!ं से कPवता बोल उठती ह।
                                                                                               े
                       “अपना  डायमंड  मेर  जैसा  ह!  बनेगा।            अपने भीतर सैकड़' बार दख चुक> ह मg।
                                                                                                         ं
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               बाकमाल शायर। वह तेरा और मेरा बेटा ह। ऐमी         कहां ह मg एक सुर न भीतर से न बाहर से। बाहर
                                                       ै
                                                                      ू
                                                                           े
               का नह!ं।”                                        से दु%नया क #लए +ोफसर रावी ह और मेर भीतर
                                                                                                       े
                                                                                               ं
                                                                                    े
                                                                                               ू
                       9कतना  खुश  हआ  था  सा1हर  क ुं वारा  बाप   बैठt  ह  कPवता।  सा1हर  क>  कPवता।  कPवता  क>
                                                                      ै
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               बनकर।  हमेशा  डायमंड  को  बहत  क ु छ  बनाने  क>   तरह  ह!  मेर  भीतर  सब  क ु छ  संवरा  तराशा  हआ
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                                                                                                           ु
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               बात  करता  था।  मुझे  प?नी  कहने  लगा,  प%त  क>   चाहता  ह  सा1हर।  क ु छ  भी  अUधक  और  क ु छ  भी
               भां%त ह! सJप%त समझता था मुझे। यह गलत ह।          कम नह!ं।
                                                           ै
               ऐसा नह!ं करना चा1हए। वैसा &य' 9कया ?                     टाफ  dम  म  बैठकर  पKरधान'  क>  बात
                                                                                    7
                                                                                               े
                       मुझसे  और  अUधक  सहन  नह!ं  था  हो  पा   कर  लेना.....अzयापक'  क>  लfछदार  मसालेदार
                                                                                                             ै
                                                                   7
               रहा।                                             बात सुन लेना ह! िजंदगी नह!ं। और बहत क ु छ ह
                                                                                                    ु
                                                                       े
                       “Vयादा सयाने इSसान को yयार करना भी       करने क #लए। आम लोग' क> तरह सोचना छोड़
                   े
                                                                 े
                                                                                       ै
               घाट का सौदा।”                                    द। तू सा1हर क> कPवता ह।“.......
                       एक  1दन  मज़ाक-मज़ाक  म  ह!  कह  गया              पर  &या  पता  सा1हर  को  आम  लोग  तो
                                               7
               था मुझसे। आग बबूला हो गया था उसका चेहरा।         आम  सा  ह!  जीते  हg।  सा1हर  मुझे  आम  से  खास
                       “बेवक ू फ' क> तरह ऐर-गैर क साथ बकवास     बनाने म लगा रहा था 9फर बSद! बनाने म, मुझे
                                          े
                                                                        7
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               करते रहना भी कौन सी समझदार! ह भला ?कोई           यह पता नह!ं चला था कभी।
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                                                                                                       ै
               तेरा ‘फसबु9कया’। कोई तेरा ‘अलाप –ुप’ का साथी।           वह हर बात अपने अनुसार ढ ूंढता ह।
               मई – जुलाई                             78                                                                   लोक ह ता र
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