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नीना सहर
बी.कॉम एम ् ए अंेजी
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लेखन : कPवताए और ग़ज़ल
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दश क> सभी +%तिMठत प6 प56काओं म +का#शत
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+काशनाधीन सामी : पु तक (ग़ज़ल)
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दश क तमाम बड़े मुशायर' म #शरकत
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दूरदश न उदू अकादमी ,र{ता, ज`न ए अदब, तहजीब, आड़ी पर +साKरत।
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र ा मं6ालय क सभी सा1हि?यक ग%तPवUधयाँ का जkर! नाम
ग़ज़ल ग़ज़ल
कभी राँझा कभी मजनू कभी फरहाद का मौसम रोई कभी, हँसी कभी, मु काई िज़Sदगी
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हज़ार' रग जीता ह 1दल ए बबा द का मौसम हमको तो हर #मज़ाज म ह! भायी िज़Sदगी
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नह!ं ह हसरत' क> रोशनी भी अब %नगाह' म इक अजनबी क साथ इक अनजान शहर म
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खुदा जान कहाँ तक ह 1दल ए नाशाद का मौसम ता उ ठहरन क #लए लाई िज़Sदगी
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ग़म' क> स1दय' म भी सुक ूं क> धूप Lखलती ह वो मेरा हम #मज़ाज न था हम ज़बां न था
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हमार साथ रहता ह तुJहार! याद का मौसम वो िजसक साथ उ गुज़ार आई िज़Sदगी
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मंिज़ल भी एहतराम म उसक झुकाय सर
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बुलाता ह वो सूरज साथ हमन जो उगाया था
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र ते क> ठोकर' म िजसन पायी िज़Sदगी
वो संगम का 9कनारा, वो इलाहाबाद का मौसम
बे9फ$ हो क सो नह! जाना तू ऐ बशर
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असीर! क> ग़ुज़ाKरश क> तो उसन कर 1दया आज़ाद
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लेती ह ज़ोर स बड़े अंगड़ाई िज़Sदगी
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हमार आंसुओं म ह उसी सैÐयाद का मौसम
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दु%नया म जान 9कतन समझदार ह मगर
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सज़ा इस स बड़ी हो और &या जुम ए मुहhबत क>
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9कसी क साथ जीना हो, उसी क बाद का मौसम 9कसक> समझ म आई मेर भाई िज़Sदगी
मई – जुलाई 81 लोक ह ता र