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P. 81

नीना सहर


                                                                                        बी.कॉम  एम ्  ए अं–ेजी
                                                                                                             7
                                                                                    लेखन : कPवताए और ग़ज़ल
                                                                                                   ँ
                                                                 दश क> सभी +%तिMठत प6 प56काओं म +का#शत
                                                                  े
                                                                                                     7
                                                                          +काशनाधीन  साम–ी : पु तक (ग़ज़ल)
                                                                                े
                                                                           दश क तमाम बड़े मुशायर' म #शरकत
                                                                            े
                                                                                                     7
                                           दूरदश न उदू  अकादमी ,र{ता, ज`न ए  अदब, तहजीब, आड़ी पर +साKरत।
                                                                 े
                                                                     े
                                                       र ा मं6ालय क सभी सा1हि?यक ग%तPवUधयाँ का जkर! नाम

                                   ग़ज़ल                                             ग़ज़ल

               कभी राँझा कभी मजनू कभी फरहाद का मौसम             रोई कभी, हँसी कभी, मु काई िज़Sदगी
                                   ं
                                ै
               हज़ार' रग जीता ह 1दल ए बबा द का मौसम              हमको तो हर #मज़ाज  म ह! भायी िज़Sदगी
                       ं
                                                                                      7

                                                                                                      7
                                                                             े
                     ै
               नह!ं ह हसरत' क> रोशनी भी अब %नगाह' म             इक अजनबी क साथ इक अनजान शहर म
                                                       7
                                                                              े
                                                                            े
                        े
               खुदा जान कहाँ तक ह 1दल ए नाशाद का मौसम           ता उŒ ठहरन क #लए लाई िज़Sदगी
                                   ै

                                                        ै

               ग़म' क> स1दय' म भी सुक ूं  क> धूप Lखलती ह         वो मेरा हम #मज़ाज न था हम ज़बां न था
                                7
                                                                        े
               हमार साथ रहता ह तुJहार! याद का मौसम              वो िजसक साथ उŒ गुज़ार आई िज़Sदगी
                                ै
                    े


                                                                                   7
                                                                मंिज़ल भी एहतराम म उसक झुकाय सर
                                                                                                े
                                                                                         े
               बुलाता ह वो सूरज साथ हमन जो उगाया था
                                          े
                       ै
                                                                                      े
                                                                                7
                                                                र ते क> ठोकर' म िजसन पायी िज़Sदगी
               वो संगम का 9कनारा, वो इलाहाबाद का मौसम


                                                                बे9फ$ हो क सो नह! जाना तू ऐ बशर
                                                                          े
               असीर! क> ग़ुज़ाKरश क> तो उसन कर 1दया आज़ाद
                                             े
                                                                     ै
                                                                लेती ह ज़ोर स बड़े अंगड़ाई िज़Sदगी
                                                                             े
               हमार आंसुओं म ह उसी सैÐयाद का मौसम
                    े
                              7
                                ै


                                                                दु%नया म जान 9कतन समझदार ह मगर
                                                                             े
                                                                                              g
                                                                        7
                                                                                   े
                          े
               सज़ा इस स बड़ी हो और &या जुम  ए मुहhबत क>
                                                                               7
                                                                                       े
                      े
                                             े
               9कसी क साथ जीना हो,  उसी क बाद का मौसम           9कसक> समझ म आई मेर भाई िज़Sदगी
               मई – जुलाई                             81                                                                   लोक ह ता र
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