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P. 82

ग़ज़ल

                                   ग़ज़ल                                 अब य जाना 9क इक 9कताब हँ मg
                                                                            े
                                                                                                  ू
                                     े
                                                      ै


                       जो था नज़र' स ओझल, उग रहा ह                      हफ़ दर हफ़ लाजवाब हँ  मg
                                                                                           ू
                                  7
                         े
                                                  ै
                       मेर सपन' म जंगल उग रहा ह
                                                                            े
                                                                       आपन एतबार ह! न 9कया
                               7
                                                g
                       मेर! आंख सुनहर! हो चल!ं ह                       मg तो कहती रह! सराब हँ मg
                                                                                             ू
                       कोई बीता हआ पल उग रहा ह
                                                  ै
                                 ु
                                                                       मुझस अपनी नमी न सूख सक>
                                                                            े
                                             े
                                      े
                                                                                  g
                       मुझे &या इ`क़ न 9फर स छ ु आ ह                    आप कहते ह आफ़ताब हँ मg
                                                     ै
                                                                                             ू
                       मेर! सांस' म संदल उग रहा ह
                                                  ै
                                  7
                                                                           े
                                                                       हो क मौजूद भी नह! 1दखता
                              े
                       तPपश न सोख ल! नरमी ज़मीं क>                      वो अमावस का माहताब हँ मg
                                                                                              ू
                       फलक प दखो बादल उग रहा ह
                                े
                              े
                                                   ै
                                                                       उसस #मलते नह! उसूल 'सहर'
                                                                           े
                            ै
                       जहां फल! थी काल! रात 1दल म                      चाहती िजसको बे1हसाब हँ मg
                                                   7
                                                                                              ू
                                                    ै
                       वह!ं माह ए मुकJमल उग रहा ह                                                -  नीना सहर

                                                           -  सJ+%त : र ा मं6ालय म अनुभाग अUधकार! 1दnल!
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               मई – जुलाई                             82                                                                   लोक ह ता र
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