Page 8 - Aahaar Kranti Hindi July 2021
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आहार काांति जुलाई 2021
वनसपवत ववज्ान सं बं धी सामानय जानकारी
तपयाल लं बे समय िक िीत्वि रहने ्वाला, धीमी दर से बढने ्वाला, फै ला हुआ , पणप्भ ािी ्वृक्ष ह।ै यह10मी.सेलके र16मी.कीऊं चाईिकबढ सकिा ह।ै इसके िने का घरे ा 75 स.ेमी. से लके र 90 स.े मी. िक हो सकिा ह।ै इसकी छाल पर मगरमच् की चमड़ी से धमलिी-िलु िी अनधगनि गहरी ए्वं सूँकरी दरारें होिी हैं िो 10 से 12 धम.मी. िक मोटी होिी ह।ैं इनका रं ग लाल चमक जलए हुए गहरा भूरा होिा ह।ै
तपयाल के ्वृक्ष पर िन्वरी से माच्भ के बीच
फू ल आने शरूु हो िािे हैं और फू लों के साथ
ही फल लगने भी शरूु हो िािे ह।ैं इसका फल गठु लीदार,लंबोिरािथाबगलकीओरसेदबा हुआ होिा ह।ै यह लगभग 2 से 2.5 स.ेमी. िक लंबा िथा 1.3 से 1.5 स.ेमी. िक चौड़ा होिा ह।ै कचचेफलहरेसेलके रपपल्भ रंगिकके होिेह।ैं ये अप्रलै से मई के बीच पकने लगिे हैं और काफी लं बे समय िक पड़े ों पर लगे रहिे ह।ैं इसके फल के अं दर एक ही बीि होिा ह,ै िो कै पसूल िसै े सखि खोल के अं दर बं द रहिा ह।ै
खाने लायक भाग
इसके पके हुए फल खाने लायक होिे ह।ैं उधचि समय पर फलों की फसल िमा कर लने े से इनकी बहे िर गणु ्वत्ता सतुनजचिि होिी ह।ै फल या िो िािे खाए िािे हैं या बाद में इसिमे ाल करने के जलए सखु ा जलए िािे ह।ैं इसके गूदे में सहु ानी, मीठी- मीठी ए्वं हलकी सी खट्ी सगु ं ध और मनमोहक स्वाद होिा ह।ै बड़े और बचचे सभी इसे पसं द करिे ह।ैं इस पसं द का कारण है इसका मीठा स्वाद और गिब की सगु ं ध। हालां तक आमिौर पर लोग फल का गूदा और उसके बीिों को खािे ह।ैं इसके बीि के अं दर मौिूद धगरी इिनी मलु ायम
होिी है जििना तक धचलगोिा। इसके बीि कचचे या पका कर खाए िािे ह।ैं हालां तक फलों को कचचा खाया िा सकिा ह;ै तफर भी इनहें इसिमे ाल सेपहलेसेसकें ायाभूनािािाहैक्ोंतकइससे इनका स्वाद और सगु ं ध दोनों बढ िािे ह।ैं बीिों का इसिमे ाल बादाम के त्वकलप के रूप में तकया िा सकिा है और इनहें आम िौर पर सथानीय बािार में बचे जलया िािा ह।ै
तपयाल के फल और बीि काबवोहाइडट् ेट्स (12.96 %), ्वसा (38%), प्रोटीन (43.24%) िथा आहारीय फाइबर (18.50%) से भरपूर होिे ह।ैं ये कै क्शयम, फासफोरस और लौह िसै े खतनिों की उचच माता (0.95 ग्राम) िथा थायधमन एसकोरतबक ऐजसड,राइबोफलते्वनऔरतनयाजसनआतदिसै े त्वटाधमनों (7.72 धम.ग्रा.) से समृधि होिे ह।ैं इनमें उचच कैलोरी मान (299.99 के. कैल.) मौिूद होिा ह।ै इसके अला्वाबीिोंमें34से47%िकफैटी आयल होिा ह।ै इनके बीिों के िले में िमाम िरह के फै टी ऐजसड होिे ह;ैं जिनमें धमररससटक ऐजसड, पाधमससटक ऐजसड, सटेयररक ऐजसड, ओलइे क ऐजसड, जलनोलइे क ऐजसड, सगलसराइड् स और बीटा एधमररन शाधमल ह।ैं
वपयाल के वृक्ष पर जनवरी से मार्त तक फू लों के सा् ही फल लगना शरूु हो जाते ह।ै इसका फल
गठु लीदार, लं बोतरा और बगल की और से दबा हुआ होता ह।ै
पारं पररक इसतेमाल
सथानीय लोग खासकर आतद्वासी इन उचच पोषक बीिों का खदु उपभोग करिे हैं और िीत्वि रहने िथा िीत्वकोपािन्भ करने के जलए इनकी तबकी भी
करिे ह।ैं हालां तक भारि के बाकी तहससों में इन बीिों का इसिमे ाल आमिौर पर धमठाइयों
में होिा ह।ै बीिों की हलके पीले रं ग की धगरी और इसके अंदर मौिूद िले में बड़े ही गिब की सगु ं ध और स्वाद
होिा ह;ै िो कु छ-कु छ बादाम और तपसिे िसै ा होिा ह।ै इन बीिों को पीसकर पाउडर भी
बनाया िािा ह।ै इस पाउडर काइसिमेालवयंिनोंकेरस कोगाढाकरन,ेबटैरको स्वातदष् बनाने िथा मां साहारी
वयं िनों में कोरमा को लिीि बनाने के जलए तकया िािा ह।ै
भारि के कु छ तहससों में सूखे हुए फलों और बीिों को एक साथ
फू लों के मौसम में पियाल (बुकानिया कोचीिससिेंससस) वृक्ष।
सकें कर एक खास िरह की बडे बनाने के जलए इसिमे ाल तकया िािा ह।ै
भारि भर के िनिािीय समाि के लोगों द्ारा तपयाल के इसिमे ाल तकए िाने का इतिहास बहुि लं बा ह।ै छोटा नागपरु पठार, ओतडशा, मधय प्रदेश और छत्तीसगढ के ग्रामीण ए्वं आतद्वासी लोग सालोंसेइसपौधेकाइसिमेालमखुयरूपसे
कई िरह की बीमाररयों का इलाि करने के जलए करिे आए ह।ैं आं िररक रकिस्ा्व ए्वं खूनी दसि का उपचार करने के जलए काढे के रूप में इसका इसिमे ाल तकया िािा ह।ै इसे बल्वधक्भ टातनक के रूप में भी इसिमे ाल करिे ह।ैं बीिों का इसिमे ाल कफनाशक िथा टातनक के रूप में भी होिा ह।ै इसकी धगरी को पाउडर के रूप में पीसकर दूध के साथ काम-शककि-्वधक्भ के रूप में इसिमे ाल तकया िािा है िथा बखु ार और िलन के एहसास का उपचार करने के जलए भी इस पाउडर का इसिमे ाल होिा ह।ै इसकी धगरी से तनकाले गए िले का इसिमे ाल चम्भ रोगों के इलाि के जलए तकया िािा ह;ै साथ ही चहे रे से दाग धबबों को हटाने के जलए भी इस िले का इसिमे ाल होिा ह।ै इसकी िड़ धमिली में िथा कफोतसारक के रूप में इसिमे ाल होिी है और रकि रोगों के उपचार में भी। इसके पत्तों का रस पाचक, कफनाशक, काम-शककि-