Page 9 - Aahaar Kranti Hindi July 2021
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जुलाई 2021 आहार काांति 9
्वधक्भ िथा पटे साफ करने ्वाला होिा ह।ै इसका गोंद बकरी के दूध में धमलाने के बाद दद्भ नाशक का काम करिा है और परं परागि द्वाओं में कु ष्ठ रोग के इलाि के जलए इसिमे ाल तकया िािा ह।ै छत्तीसगढ में तपयाल के फल िथा इसकी छाल के अक्भ का इसिमे ाल सां प के काटने के इलाि के जलए भी तकया िािा ह।ै
तपयाल ्वृक्ष के त्वधभन्न भाग िसै े तक - पत्त,े फल,बीि,गोंदऔरिड़कीछालकाइसिमे ाल आय्वु तवेदक ए्वं यूनानी धचतकतसा पधितियों में औषधधयों के रूप में तकया िािा ह।ै आय्वु दवे
के अनसु ार इसकी िड़ें कटु, तिकि, शीिल, रकिशोधक ए्वं मला्व-रोधक होिी ह।ैं िड़ों की छाल का पाउडर शहद मेंधमलाकर खूनी पधेचश में फायदा करिा ह।ै इसके पत्तों का इसिमे ाल चम्भ रोगों के इलाि के जलए तकया िािा ह।ै इसके फल खां सी ए्वं दमा के उपचार में इसिमे ाल तकए िािे ह।ैं
रोग-वनवारक गणु
हाजलया समय में औषधीय अनसु ं धान के क्षते में उन्नति के साथ तपयाल के औषधीय गणु ों की कुछहदिकपनु ःखोिकीगईह।ै इसके फलों का मादक अक्भ मूत ्वधक्भ ह;ै अिः अधधक मूत
पदै ा करिा ह।ै इसका इसिमे ाल
घा्व भरने के इलाि में भी तकया
िा सकिा ह।ै अधययनों से पिा
चला है तक तपयाल के बीिों के अक्भ
का; याददाशि प्रापि करने और उसे बनाए रखने पर सकारातमक असर होिा है और इस प्रकार यह अलिाइमर तडिीि िसै े बढिे हुए िं ततका अपह्ासी मससिषक त्वकारों के इलाि के जलए आशािनकत्वकलपहोसकिाह।ै
त्वधभन्न पया्व्भ रणीय कारकों सेसं सग;्भ मकु ि मूलक सं रचनाओं की ओर ले िािा ह।ै
वपयाल वृक्ष के ववजभन्न भाग जैसेवक - पत्े, फल, बीज, गोंद और जड़ की छाल का इसतेमाल आयवु वेदद क एवं यनू ानी जरवकतसा पधिवतयों में औषजधयों के रूप में वकया जाता ह।ै इसके पत्ों का इसतमाल रम्त रोगों के इलाज के जलए भी वकया जाता ह।ै
त्वद्यिु ीय रूप से आ्वशे शि हो िािा है िो यहदूसरेसूक्ष्मअणओु ंसेइलकेटट्ान
एकतति करने का प्रयास करिा ह।ै इस ्विह से डी.एन.ए. िथा दूसरे
अणओुंकोनकुसानपहुंचिा ह।ै इससेउतपरर्विि्भ नन (मयूटाितेनजसस) उतपन्न होिा ह।ै तपयाल की छाल को
मान्वों में िीन आत्वषालिु ा (िनेोटाककसजसटी)िथा
आककसडेंटट्व िना्व के त्वरुधि इसिमे ाल तकया िा सकिा ह।ै िने ोटाककसजसटी से िातपय्भ है - तकसी कोशशका के िने टे टक मटै ेररयल पर त्वध्ं सक प्रभा्व। इसके
अला्वा घा्वों का उपचार करने के जलए इसकी छाल के अक्भ से एक िले -आधाररि मरहम ियै ार की गई है िो अभी परीक्षण के अधीन ह।ै
तपयाल की िड़ों में दसि-रोधी सतकयिा पाईिािीहै।इसकी्विहशायदउनमें टैतननस की मौिूदगी है। इसकी िड़ों से प्रापि एथनाजलक अक्भ में गैससटट् क अलसरों पर काम करने ्वाली रोग तन्वारक ए्वं धचतकतसकीय सतकयिा मौिूद रहिी है। इसकी पधत्तयों ए्वं धगरी से प्रापि होने ्वाले मैथनाजलक अक्भ में िलन- रोधी सतकयिा पाई िािी है। इसके अला्वा इसकी पधत्तयों के अक्भ में, प्रयोगशाला परीक्षण की दशा में, मधुमेह-रोधी िथा मोटापा कम करने ्वाले गुण देखे गए हैं। अि: टाइप-1 िथा टाइप-2 दोनों ही िरह के डायतबटीि मेजलटस के उपचार के जलए इस पर आगे शोध तकए िाने की िरूरि है।
दीपां िन घोष लोकतप्रय त्वज्ान लखे क िथा त्वज्ान सं चारक ह।ैं
dpanjanghosh@gmail.com
अन्वु ाद: सनु ील कु मार धमश्रा
पियालके युवाबीज(आवर्धित) इसं ािी पदमाग जैसे पदखते हैं।
चचरौंजी या पियाल के िपरिक्व बीज का इस्ेमाल भारतीय िाक-शैली में बादाम या पिस्ा के स्ाि िर ककया जाता ह।ै
फोटो : सुपरिया सामंत और कृ त्य कु मार
मकु ि मूलकों की सबसे सामानय सं रचना है - आकसीिन। िब आकसीिन का कोई अणु
फोटो : दीिांजि घोष