Page 139 - MPFS Final Magazine 2020_Neat
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दीदार-ए-हकीकत...
- रािी ओलरीकर
MPFS 2021
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दहलीज़ पर से नज़र आते ससक्,
तेज़ धूप में चमक रहे रे .....
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मगर इन आँखों को आसुओं क कारण, चभन नहीं हुई महसूस I
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आवाज की गूज से मुकम्मल जज़न्दगी गुज़र रही री,
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चारों ओर सड़कों पर नज़र आते रे कई जुलस I
परन्ु खामोणशयाँ जब बोलने लगी,
तो लगा, आ गयी कई रुकावट .....
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ख्ादहशों से ददल मचलते रे,
तमन्नाओं से हम र ललपट I
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अब असधकता क बावजूद दुश्वार है हसरत ....
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इस भव्य ससार में सामाजजक मनुष् की रह गई ह सक्ष् ज़रूरतें I
मगर ऐ इसान, सरि कर, धैय रख
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हलकी चोट अगर गुलाब क काँटों से है, तो गुलकद की ममठास को चख....
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यह वक्त भी गुज़र जाएगा I
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सैलाब का खौफ तो उन् है,
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जजन् डर ह अंजाम से ...
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ए कदरत, ना परशान हो अब इस इसान से ....
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जन्नत दफर हम ही ममलकर इस धरती पर लायगे
अब, जब हमें खुद को, खुदा ने ही सबक जो ससखा ददया I
वारसा .... ना ांचा .... सं कृ तीचा .... कलेचा ….
आ ण .... शौया चा !!!