Page 11 - INBEF की आवाज़
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यूएफ़बीयू द  ारा जो दूसरी बड़ी चूक ह ई वह यह िक 01.04.2010 या उसके  बाद बै क सेवा मे  आने वाले बै क


            किम र  यो  को पे सन फ़ण   के  लाभ से वंिचत करते ह ए उनके  िलए के  द  ीय सरकार के  कमर चािरयो  की भाँित नयी


            पे सन योजना स  ीकार कर ली गयी -यह नही  सोचा गया िक आने वाले वषो    मे  बड़े पैमाने पर होने वाली


            कमर चािरयो  की सेवा िनवृित   के  मद  े नज़र बह त बड़ी संख  ा मे  युवा बै क कमी   आएँगे । बै क सेवा मे  आने वाले


            ये युवा तो अभी िकसी भी संघठन के  सदस   नही  थे िफर भी उनका प  ितिनिधत   करते ह ए पे सन के  मामले मे 


            उनकी िक़स  त का फ़ै सला कर िदया गया । इस फ़ै सले ने युवा बै क किम र  यो  की यूिनयनो  मे  िनष  ा पर िवपरीत


            प  भाव डाला है । इस समझौते ने पे सन लाभ के  नाम पर कमर चािरयो  के  तीन अलग अलग वगर  बना िदए -(1)


            िबना िकसी अंशदान के  1995 के  पे सन रेग  ुलेशन के  ज़िरए पे सन का िवकल   चुनने वाले कमर चारी (2) इस


            समझौते के  प  ावधान के  तहत नवम  र 2007 के  पुनिनर  धार िरत वेतन का 2.8 गुणा अपने एिरयर से अदायगी कर


            पे सन का लाभ पाने वाले बै क कमी   और (3) 01.04.2010 के  बाद बै क सेवा मे  आए बै क कमी   िजनके  िलए नयी


            पे सन योजना का िवधान िकया गया । इस तरह कमर चािरयो  के  अलग अलग वगर  बनने से उनकी एकता पर


            प  ितकू ल असर पड़ा ।




            पे सन का एक  अितिरक   िवकल   िदलवाने मे  इनबेफ का योगदान




            एआईबीईए की र िच इस बात मे  नही  थी िक बै क किम र  यो  को पे सन का एक अितिरक   िवकल   िमले -नौवे 



            िद  पक  ीय समझौते की िविभन   माँगो  को लेकर हड़ताल का आवाहन यूएफ़बीयू द  ारा िकया गया था - इस


            हड़ताल को रोकने के  िलए मुख   श  मायुक   (के  द  ीय) द  ारा नई िदल  ी मे  समझौता वातार  रखी गई थी -इस

            वातार  के  दौरान माँगो  के  क  म मे  पे सन का एक अितिरक   िवकल   िदए जाने की माँग सबसे अन   मे  थी -जब


            इस माँग पर वातार  का नम  र आया एआईबीईए के  महासिचव काग़ज़ात समेट कर जाने लगे - इस पर इनबेफ


            महासिचव श  ी सुभाष सावन   ने उनका ध  ान पे सन के  एक अितिरक   िवकल   पर वातार  रह जाने की ओर


            आकिष र  त िकया िजस पर उनका साफ़ कहना था िक जब 29.10.1993 के  पे सन समझौते के  आधार पर पे सन


            का िवकल   चुनने का अवसर था तब AIBOC - INBEF समेत अनेक संघठन इसका िवरोध कर रहे थे इसिलए


            अब पे सन के  एक और िवकल   की माँग से उनका कोई लेना देना नही  है -इस पर INBEF की ओर से कहा गया


            िक अतीत मे  क  ा ह आ इससे भी कोई लेना देना नही  है -यूएफ़बीयू ने िजन माँगो  को लेकर हड़ताल का


            आवाहन  िकया  है  उसमे   यह  माँग  भी  शािमल  है  इसिलए  इस  पर  भी  वातार   होनी  चािहए  ।  एआईबीईए


            महासिचव ने इसके  बाद भी इस मुद  े पर वातार  करने से इंकार कर िदया गया । इन पिरिस  ितयो  मे  INBEF ने


            स  ष   कर िदया िक यिद पे सन के  एक अितिरक   िवकल   की माँग को मुख   माँग मानते ह ए उस पर वातार  नही 


            होगी तो िफर यूएफ़बीयू के  आवाहन पर होने वाली हड़ताल मे  INBEF शािमल भी नही  होगी और वस  ु िस  ित


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