Page 18 - C:\Users\Prateek\Documents\Flip PDF Professional\Vidyalaya Magazine\
P. 18
euq"; vkSj o`{k ¼laokn½
मनुष्य: हाय कितनी गर्मी है चलो थोडी देर पेड ि े
नीचे बैठ जाता ह ूं |
वृक्ष: गर्मी तो तुम्हें बहुत लग रही होगी?
मनुष्य: हाूं तो !!
वृक्ष: प्यास भी लग रही होगी?
मनुष्य: हाूं पर आप र्मुझसे यह सब क्यों
पूछ रहे हैं?
वृक्ष: क्योंकि तुर्म र्मनुष्य हर्म वृक्षों ि े भावों
िो सर्मझते ही नहीं हो
मनुष्य: र्मतलब र्मैं ि ु छ सर्मझा नहीं !
वृक्ष: र्मतलब यह कि तुर्म यह तो र्मानते हो
ना कि तुर्म आज र्मेरी वजह से ही कजूंदा हो और तुम्हें सब सुकवधाएूं र्मुझसे ही कर्मलती है
मनुष्य: हाूं यह तो सच है |
वृक्ष (रोते हुए ): किर भी तुर्म सब र्मुझे ही र्मार देते हो |
मनुष्य: अरे आप शाूंत हो जाइए | हर्म इसि े कलए शकर्मिंदा हैं और र्मैं आपसे वादा िरता ह ूं कि अब
पेडों िी सूंख्या अवश्य बढेगी हर्म सब पर िाटेंगे नहीं बककि उगाएूंगे |
वृक्ष: तुर्म सब हर्में िाट िर अपने ही पैरो पर ि ु कहाडी र्मार रहे थे यकद हर्म नहीं तो तुर्म भी नहीं |
मनुष्य: हाूं आपने सही िहा अब हर्म अकधि से अकधि पेड उग आएूंगे |
वृक्ष: पेड लगाना वरना तुर्म कजूंदा ि ै से रहोगे अगर िाटना भी हो तो हर्मारे डाकलयों िो िाटो
और अगर एि पेड िाट दो तो दो लगाओ
मनुष्य: अब हर्म अवश्य ही ऐसा िरेंगे |
वृक्ष: ठीि है र्मुझे तुर्म सब से बहुत उम्र्मीद है र्मुझे कनराश र्मत िरना |
पेड़ बचाओ पेड़ लगाओ
ननवेनिता जोशी
कक्षा - 12 ‘ब’