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रहकर  आसमान  की  बुलिंहदयों  में  ऊिं चा  उड़ना  चाह  रहा  था.  आणखरकार
        हमारे और तुम्हारे सामने आ ही र्या वही ऊ िंच-नीच का पुराना सवाल.

        कहाँ  मैं  एक  ड्राईवर  का  लड़का  और  तुम  एक  मेडीकल  डायरेक्टर  की
        लड़की  . . .?' कहते-कहते अिंबर का र्ला भर आया तो बदली भी त्रबिर
        पड़ी. वह जैसे पक्षी की भािंतत अपने पिंख िड़-िड़ाते हए बोली,
                                                       ु
             'ऐसा मत बोलो अिंबर. प्लीज मत कहो. तुम नहीिं समझ सकोर्े मेरी
        मजबूररयों को.'
             'कै सी मजबूररयािं?'

             'यही कक मैं तुम्हारे सपने तो देख सकती हँ लेककन उन सपनों को
                                                    ू
        साकार नहीिं कर सकती हँ. मैं तुमको प्यार तो करिं र्ी पर उस प्यार में
                               ू
        दैहहक  एहसास  नहीिं  भर  सकती  हँ.  तुम्हारा  आदर  और  सम्मान  करिं र्ी
                                       ू
        मर्र तुम्हारा जीवन-साथी बनकर एक कदम भी साथ नहीिं चल सक ू र्ी.'
             बदली के  इस कथन पर अिंबर किर आर्े क ु छ भी नहीिं कह सका.
        बड़ी देर तक वह चुप ही बना रहा. बदली भी उदास और खामोश बनी
        रही. दोनों की कहा-सुनी में, ज़रा सी देर में उनके  बीच का वातावरि भी

        जैसे उदास हो चुका था. दोनों के  मध्य में तनर्रानी करती हई हवाओिं की
                                                              ु
        मौजूदर्ी बोणझल हो र्ई थी. के वल आपस की मौनता एक तीसरे अनदेखे
        बजूद के  समान उनके  बीच में अपना अजस्तत्व बनाये हए थी.
                                                         ु
             तब कािी देर की चुप्पी के  पश्चात आपस की मनहसता को तोड़ते
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        हए  अिंबर  ने  जैसे  अपनी  अिंततम  बात  बदली  से  कही.  वह  भरे  र्ले  से
         ु
        बोला,

             'एक बात बता सकोर्ी मुझे?'
             अपनी हािंमी में बदली ने भरी-भरी सी आँखों से अिंबर को देखते हए
                                                                        ु
        अपना शसर हहलाया तो उसने कहा कक,
             'जज़िंदर्ी  में  कभी  अर्र  'मैं  भूलकर  कहीिं'  अचानक  से  तुमको  शमल

        र्या तो पहचानने की कोशशश तो कर लोर्ी मुझे?'
             'शलपट जाऊिं र्ी तुमसे. लेककन शादी नहीिं करिं र्ी.'

             बदली के  शब्दों में लाचारी और होठों पर बे-बसी झलकी तो अिंबर
        को  ये  सोचते  देर  नहीिं  लर्ी  कक  जजस  लड़की  को  लेकर  उसने  अपने
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