Page 28 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
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शमलती है, परन्तु ऐसे लोर् भी हैं जो अन्याय क े कारि शमट जाते हैं।24 जो बेटे पर छड़ी
नहीिं चलाता वह उसका बैरी है, परन्तु जो उस से प्रेम रखता, वह यत्न से उस को शशक्षा
देता है।25 धमी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं॥
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ककताबों के ि ू ल
सोचा था तुझे ढ ूिंढ कर बना लूिंर्ा अपना एक आिंशशया,
पर तुझे ढ ूँढने की आस में खुद ही भटक र्या.
मोततयों की माला बनाकर टािंर् लूँर्ा अपने किं ठ में,
पर तुझे समेटने की कोशशश में, मैं ही त्रबखर र्या.
दररया बनकर बहा ले जाऊिं र्ा तुझे दूर इस जमाने से,
पर झील की तरह ठहर कर एक जर्ह ही शसमट
र्या.
मुजश्कल था मनाना उसे जो रठा भी नहीिं, और मूक
भी हो,
इस कोशशश में खुद ही मूक और बगधर बन र्या.
कार्ज़ के ि ू लों में महकार भरने का बहत माहहर था मैं,
ु
ककस्मत से एक ि ू ल शमला, वह भी ककताबों में सूख र्या.
- शरोवन.
28 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019