Page 32 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
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लेकर प्रववष्ट हई तो बदली ने उन्हें मुस्कराकर देखा. देखते ही कहा कक,
ु
' मामा, मैं अमरीका से इसशलए थोड़े ही आई हँ कक आप मेरी सेवा
ू
करें. अब से जब तक मैं यहाँ हँ, आप ककगचन में त्रबलक ु ल ही नहीिं
ू
जायेंर्ी.'
'चार हदनों के शलए तो तू आई है, ववदेश चली र्ई तो क्या अब
इतना भी अगधकार मेरा नहीिं रहा है? आणखर मािं हँ तेरी, तेरे अच्छे-बुरे
ू
का ध्यान नहीिं रखूिंर्ी क्या?'
'ठीक कहती हैं आप. आपने तो सदैव ही मेरे भले का ध्यान रखा है,
मर्र भला होता तब न . . .' कहते-कहते बदली ने चाय का प्याला
पकड़ा तो उसकी मािं के हाथ जहािं के तहािं ही थम र्ये. वे तुरिंत ही बोलीिं
कक,
' शशकायत कर रही है तू मुझसे?'
'!!'
'अब छोडड़ये इन बातों को. बिंद कब्रों को किर से खोदने से लाभ भी
क्या? कोई और बात कर लेते हैं. दोनों चन्दा और सूरज कहाँ हैं?' बदली
ने अपने दोनों बड़े भाइयों के शलए पूछा तो मािं ने कहा कक,
'वे दोनों आज रात में आते ही होंर्े. उन्हें तेरे आने की खबर तो
पहले ही कर दी थी. मर्र तू अिंबर की भी बात कर रही है?'
'बात करके अब क्या शमल जाएर्ा मुझे? हािं, उसकी मृत्यु के बारे में
कम से कम मुझे बता तो हदया होता?'
'चाहा तो बहत था मैंने, मर्र न जाने क्यों हहम्मत ही नहीिं हो सकी
ु
थी.'
मािं ने कहा तो बदली जैसे किर से अतीत में खोने सी लर्ी तभी
उसकी मािं ने आर्े कहा कक,
'अब ज्यादा सोचा-ववचारी मत करना. चल चाय पी ले. मैं अभी
आती हँ.'
ू
ये कहते हए मािं किर से ककगचन में चली र्ई तो बदली ने सूटके स
ु
में से अपना पसच तनकाला और उसे खोलकर अिंबर की िोटो को एक
32 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019