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वपता से इस सम्बन्ध में बात भी की थी. बातों-बातों में उन्होंने बदली
और अिंबर के ररश्ते को अ-समान भी बताना चाहा, मर्र किर भी जब
कोई लाभ नज़र नहीिं आया तो उन्होंने सोच शलया कक अब समय आ
र्या है कक बदली को वास्तववकता बता देनी चाहहए कक उसका और
अिंबर का ररश्ता धमच, समाज और ईश्वर; हर तरह से नाजायज़ ठहरता
है. यहद ऐसा वे कह देती हैं तो कम से कम वे दूसरा पाप करने से तो
बच जायेंर्ी. एक र्लती तो वे पहले ही कर चुकी हैं. एक ऐसी र्लती
कक जजसका शसला उनकी आँखों के सामने स्पष्ट हदखाई देने लर्ा है.
तब एक हदन अवसर पाते ही बदली की मािं ने अपनी बात बदली के
सामने रख दी. घर पर उस समय बदली और उसकी मािं के शसवा कोई
तीसरा नहीिं था. उसके दोनों भाई पहले ही से होस्टल में रहते हए दूसरे
ु
शहर में पढ़ा करते थे. उसके वपता भी अपनी नौकरी के ककसी काम से
शहर के बाहर र्ये हए थे. ऐसे ही में बदली की मािं ने उससे कहा कक,
ु
'तू अिंबर के साथ जो सपने देखती किर रही है, उनको अब देखना
बिंद कर दे. उससे तेरी शादी कभी भी नहीिं हो सकती है.'
'?' - बदली को जैसे अचानक ही सािंप सूिंघ र्या. अपनी सर्ी मािं के
मुख से ऐसी अप्रत्याशशत बात को सुनकर बदली के जैसे कान ही खड़े हो
र्ये. इस प्रकार कक वह अपना मुिंह िाड़कर, एक असमिंजस से मािं का
मुख देखने लर्ी.
'ऐसे घबराकर मत देख मुझे? मैंने कहा है कक उससे तू शादी करेर्ी
तो कहीिं की भी अपना मुिंह हदखाने लायक नहीिं रहेर्ी. अिंबर के
अततररक्त तू चाहे ककसी से भी अपना वववाह कर ले, मुझे कोई आपजत्त
नहीिं होर्ी.'
'?' - खामोशी.
बदली की समझ में नहीिं आया कक उसकी मािं सच कह रही है या
किर झूठ. वह चुप ही बनी रही तो उसकी मािं ने बात आर्े बढ़ाई. वे
आर्े बोली,
'अब आर्े ये मत पूछना कक अिंबर से तेरी शादी क्यों नहीिं हो सकती
है? तू यहद पूछेर्ी भी तो मैं कोई भी उत्तर तुझे नहीिं दे पाऊँ र्ी.'
37 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019