Page 39 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
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है?
बेटी की हसरतों के सजाये हए सपनों के महल पर अचानक ही
ु
तबाहहयों के बादल तघरने लर्े तो उसकी उदासी और तनराशा को देख कर
बदली की मािं भी गचिंततत होने लर्ी. उसने सोचा कक अभी ज़रा सा
ववरोध भर ककया है तो बदली के चेहरे की मुस्कानें ही रुखसत हई हैं,
ु
यहद कहीिं और बात जब आर्े बढ़ी तो इसका प्रभाव उसकी जज़िंदर्ी पर
भी आ सकता है? पली-पलाई जवान लड़की की मज़ार पर वह कै से
हमेशा की रुखसती के ि ू ल रख सकें र्ी? र्लती तो खुद उन्होंने ही की
है. अपनी बदकाररयों की सज़ा वह सिंतान को जीते-जी क्योंकर शमलने दें?
अभी तो समय है. सब क ु छ तरीके से बतलाकर समझाया जा सकता है.
जब असशलयत बदली के सामने आयेर्ी तो क ु छ हदन तो उसे बुरा लर्ेर्ा
ही मर्र बाद में वह अपने आपको समझा भी लेर्ी. सो एक हदन बड़ा ही
साहस और हहम्मत जुटाकर उन्होंने बदली को अपने पास बुलाया. प्यार
से उसके शसर पर अपना हाथ रखा. अपनी ममता का वास्ता हदया. तब
वे उससे आर्े बोलीिं कक,
'मुझसे नाराज़ रहने लर्ी है तू? बात भी करना बिंद कर हदया है तूने
अब तो मुझसे? ज़रा सोच तो, मािं हँ मैं तेरी. तुझको जन्म हदया है मैंने.
ू
आँख देखे तुझे ववष तो नहीिं खाने दे सकती हँ मैं.'
ू
'?' - उनकी इस बात पर बदली चुप ही रही. वह क ु छ भी नहीिं बोली
तो उसकी मािं ने आर्े कहा कक,
'तू जानना चाहती है कक मैंने क्यों अिंबर से तेरे ररश्ते के शलए
मनाही की है? तू सुनेर्ी तो अब चाहे मुझे ककतनी भी र्ाशलयाँ दे लेना,
चाहे ककतना ही बुरा-भला कह लेना, मर्र जो सच है उसको मैं अपने
साथ लेकर कहीिं भी नहीिं जा सकती हँ. तू जजस अिंबर के साथ अपनी
ू
शादी के सपने सजाये बैठी है वह तेरा भाई है. वह न जाने कौन सी
घड़ी थी कक मैं अपना होश-ओ-हवाश खो बैठी थी और तू अिंबर के वपता
की सन्तान बनकर मेरी कोख़ में आ र्ई. अपनी जज़िंदर्ी का ये काला
भेद मैंने आज तक के वल अपने पास ही तक सीशमत रखा था. यहद तू
रास्ते में नहीिं आती तो शायद मेरा ये भेद मेरी कब्र तक मेरे साथ ही
39 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019