Page 38 - CHETNA January 2019 - March 2019FINAL_Neat FLIP
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यह कहकर मािं ने अपनी बात समाप्त कर दी तो बदली ने भी उनसे
क ु छ भी नहीिं कहा. किर कहकर वह कर भी क्या सकती थी? मािं ने
उसको अपना िै सला सुना हदया था. अब कारि चाहे क ु छ भी रहा हो,
मर्र किर भी मािं के शब्दों और कहने के ढिंर् से यह बात तो स्पष्ट हो
चुकी थी कक अिंबर और इसके ररश्ते में जो अड़चन आ रही है वह कोई
छोटी-मोटी बात नहीिं हो सकती है. जरुर कोई तो भेद ऐसा है कक जजसको
उसकी मािं अपने सीने में छ ु पाये हए है?
ु
तब इस प्रकार मािं ने उसे अिंबर से शमलने-जुलने से रोक तो शलया
था, लेककन असली बात भी स्पष्ट नहीिं की थी. ऐसी कोई ववशेष बात तो
थी ही कक जजसके कारि मािं ने उसके सारे सपनों पर पानी िे र हदया
था. इतना सब क ु छ हआ तो बदली का तो जैसे सारा सिंसार ही उजड़
ु
र्या. हदन उसके काले हो र्ये. रातें बे-मतलब ही उसे डसने लर्ीिं. अिंबर
से उसने शमलना-जुलना बिंद तो नहीिं ककया था, हािं कम अवश्य ही कर
हदया था. ऐसे में वह करती भी क्या? चुपचाप अपनी उम्मीदों के कफ़न
हर रोज़ ही जमा करने लर्ी. किर ये सब एक साथ घहटत हआ तो किर
ु
उसके चेहरे की रिंर्त भी उड़ते देर नहीिं लर्ी. चेहरे की सारी आभा ही
समाप्त हो चली. उसने हिंसना, शमलना, जुलना सब क ु छ छोड़ हदया. घर
से वह बाहर ही नहीिं तनकलती. अब तक उसने अिंबर को क ु छ भी नहीिं
बताया था. न बताने का कारि था कक वह भी अपनी मािं का बदला हआ
ु
रवैया र्हराई से देख लेना चाहती थी. आश्चयच तो उसे था ही, साथ ही
एक गचिंता भी, उसे सताने लर्ी थी. आश्चयच इसशलए था कक आज तक
उसकी मािं ने उसकी मजी के ववरुधॎध कोई भी काम नहीिं ककया था. बचपन
से लेकर आज तक हरेक बात और इच्छा उसकी वह पूरी करती आई थी.
घर में भी वह सबकी चहेती और लाडली थी. दो भाइयों में सबसे छोटी
अपने घर की अके ली लड़की और बहन थी. नाजों से वह पली-बढ़ी थी.
किर भी जब उसकी जज़िंदर्ी के मािंझी के चुनाव की बात सामने आई तो
सबसे पहले उसकी मािं ही सामने आ र्ई? गचिंता का ववषय था कक वह
नहीिं समझ पा रही थी कक अचानक उसकी मािं के सामने ऐसी कौन सी
बात आ र्ई है कक वह अिंबर को हरगर्ज़ ही स्वीकार नहीिं करना चाहती
38 | चेतना जनवरी 2019 - माचच 2019