Page 36 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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vगला दयो के  वंश म. कोई अ#य लड़क1 मेल नह%ं खाती थी। परमेXवर ने िजस
         कार से उसे आकष0क wप और सुदंरता अपने  हPसे म. से  दल खोलकर द% थी,
        उससे भी अvधक उसे नृ{य क1 कला भी 5मल% थी। र=श क1 एक-एक रग से
        उसके   िजPम  का  तार-तार  जैसे  वा+कफ  हो  चुका  था।  नृ{य  क1  Eवधा  म.  वह
        इतनी अvधक ;नपुण हो चुक1 थी +क घंटो वह ~बना थम. नाच सकती थी। +फर
        आज क1 यह उफनती हई सं—या तो उसके  5लये एक Eवशेष सूचना लेकर आई
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        थी। उसके  Eपता ने अ?मो;नयJ पर Eवजय पाई थी और सारे इ…ाएल को उसके

        ख़ौफ  और  अ{याचारJ  से  आज़ाद  कर   दया  था।  +फर  इसी  के   ;नमं(ण  म.  यह
        कै से संभव हो सकता था +क वह जXन नह%ं मनाती? ले+कन व=त के  5मजाज
        और होनी को कौन पहले जान सका है। कायनात के  यह ;नयम ऐसे ह8 +क इ#ह.
        जब जो करना होता है, उसे करके  ह% मानते ह8—  एक तरफ ;यeतह क1 पु(ी के
        5लये जहां उसके  Eपता का लड़ाई से सक ु शल वापस आना जैसे तारJ क1 बारात
        आना था, वह%ं उसके  Eपता के  5लये जैसे उसक1 मौत के  स#देश का एलान भी
        था।  यह%  सोचकर  ;यeतह  अपनी  इकलौती  बेट%  को  दूर  से  ह%  अपने  घर  के
        दरवाज़े पर डफ बजाती हई और नाचते हये ;नकलते देख बुर% तरह vच„लाया ह%
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        नह%ं  बरन  इतनी  अvधक  ती‡ता  से  चीख़  पड़ा  +क  जैसै  +कसी  चो टल  शेर  का
        गला  अचानक  से  दबा   दया  गया  हो।  वह  दूर  से  ह%  अपनी  बेट%  को  देखकर

        अपने कपड़े फाड़ता हआ vच„लाया,
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             'हाय ! मेर% इकलौती बेट%, यह तूने =या कर डाला?  तूने तो नाच-नाचकर
        अपना सारा बदन ह% तोड़  दया। =या तू भी अब मेरे दुख देनेवालJ म. शा5मल
        हो गई है?'
             '?'-  ;यeतह क1 पु(ी अपने Eपता के  इस अचानक से बदले हये 5मज़ाज को
                                                              ु
        देखकर -ण भर को क ु छ समझ नह%ं सक1। वह अपना नृ{य रोककर उसी समय
        अपने Eपता के  कर%ब पहंची और उसका मुख देखकर उसे पढ़ने का  य{न करने
                            ु
        लगी। ले+कन जब क ु छ नह%ं समझ सक1 तो चुपचाप अपने Eपता के  गले से लग
        गई  और  5ससक-5ससक  कर  रो  पड़ी।  उसने  सोचा  था,  +क  शायद  उसक1  इस
        हरकत और नृ{य म. जwर कोई ऐसी गलत बात हो चुक1 है, जो उसके  Eपता को

        अbछ© नह%ं लगी है। वह यह सोच ह% रह% थी,  +क तभी अपनी सु#दर बेट% के
        आंसू और मन क1 €यथा जान और देखकर जब ;यeतह से और नह%ं देखा गया
        तो वह उसे छोड़कर दूर vगलबो पहाड़ क1 तराई क1 ओर चला गया।
             अब तक शाम ढलने लगी थी और दूर £-;तज म. सूय0 क1 रिXमयां हर पल
        कमज़ोर होती हई अपने दम तोड़ते हये जीवन क1 लाल% बना रह% थीं। सद0 होती
                                      ु
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        36 |  चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये
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